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सर्द रातों के बीच खुलें में बीतती है रातें

locationमंडलाPublished: Dec 04, 2019 05:53:51 pm

Submitted by:

Sawan Singh Thakur

रैन बसेरा न होने से परिक्रमावासियों की जान जोखिम में
 

सर्द रातों के बीच खुलें में बीतती है रातें

सर्द रातों के बीच खुलें में बीतती है रातें

मंडला। कड़ाके की सर्दी शुरु हो चुकी है और सर्द रात में नौ बजने के बाद सडक़ों पर सन्नाटा छाने लगा है ताकि सर्दी बढऩे से पहले घर की छत के नीचे जा पहुंचे। लेकिन गरीबी झेलता बेबस मजदूर और समाज के निराश्रित वर्ग आज भी इसी कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे या किसी शेड के नीचे जमीन पर रात बिता रहे हैं। वजह यह है कि जिला मुख्यालय में रैन बसेरा आज तक नहीं बनाया जा सका। जहां जरुरतमंद किसी सुरक्षित छत के नीचे रात गुजार सकें।
फुटपाथ-घाट की सीढिय़ों का सहारा
जिला अस्पताल, बस स्टैंड, रपटा पर दर्जनो लोग फुटपाथ किनारे और रपटा घाट में बनी सीढिय़ां व शेड के नीचे सोकर ठंड भरी राते गुजार रहे हैं। इनके लिए न तो अलाव की कोई व्यवस्था है और ना ही रहने का कोई ठिकाना। लंबे समय से जिला मुख्यालय में रैन बसेरा की मांग लोगों द्वारा की जा रही है, लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। परिणाम स्वरूप गांवों से शहर आने जाने वाले यात्री सडक़ किनारे या दुकानों के टीन शेड में रात गुजारने के लिए मजबूर हो रहे हैं। बारिश हो या ठंड का मौसम यह परेशानी और बढ़ जाती है।
नर्मदा किनारे रपटा घाट में लगे टीन शेड के नीचे या खुले आसमान तले बैठ कर रात गुजारना पड़ रही है। इस दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना का भी भय बना रहता है।
समाज सेवियों की मांग
शहर में एक रैन बसेरा होना बहुत जरुरी है ताकि जरुरतमंद सुरक्षित स्थान पर रात गुजार सकें। रेनू कछवाहा, समाजसेवी।
घाट की सीढिय़ों पर जरुरतमंद लोगों को कड़ाके की सर्दी में ठिठुरते देखना बहुत की कष्टदायक है। जनप्रतिनिधियों को इस के लिए कुछ व्यवस्था की जानी चाहिए। सुनील बाली, समाजसेवी।
रपटा घाट के शेड के नीचे बुजुर्ग बर्फ की तरह ठंडे फर्श पर रात बिताने को विवश हैं। उनके लिए शासन को व्यवस्था करनी चाहिए। सुनील मिश्रा, युवा, आजाद वार्ड।
बेसहारा वर्ग भी समाज का हिस्सा हैं और वोट करते हैं। उनकी सुरक्षा को देखते हुए उनके सिर पर छत की व्यवस्था करना प्रशासन और शासन का दायित्व है। दीपमणी खैरवार, युवा।

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