करीब दो सालों तक रेडक्रॉस भवन में पोषण पुनर्वास केन्द्र का संचालन किया जाता रहा, यहां यह केन्द्र तीसरी मंजिल में संचालित होने से महिलाओं को अपने बच्चों को लेकर तीसरी मंजिल में पहुंचने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। इस केन्द्र में लाने के पहले बच्चों को जिला अस्पताल में दिखाना पड़ता है जिसके बाद बच्चे की हालत देखकर उसे पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराया जाता है। अस्पताल में दिखाने के बाद यदि बच्चे को भर्ती कराना है तो अस्पताल से दूर रेडक्रॉस भवन में ले जाना पड़ता था इसके अलावा यदि अचानक डॉक्टर की जरूरत पड़ जाए तो जिला अस्पताल से रेडक्रॉस तक डॉक्टर का पहुंचना भी समय में संभव नहीं था, इस समस्या को लेकर पत्रिका ने कुछ दिनों पूर्व समाचार प्रकाशित भी किया था जिसके बाद अब जिला अस्पताल परिसर में ही पोषण पुनर्वास केन्द्र संचालित होने लगा है।
अब भर्ती की कोई सीमा नही
जन बच्चों में उम्र की हिसाब से विकास नहीं होता है, खून की कमी या अन्य बीमारियों से ग्रसित बच्चों को पूर्व में यहां 15 दिनों तक उनकी माताओं के साथ रखकर बच्चों का इलाज किया जाता था, लेकिन अब इस समय सीमा के बंधन को समाप्त कर दिया गया है और जब तक इस केन्द्र में भर्ती बच्चे का शारीरिक विकास उसकी उम्र के हिसाब से नहीं होने लगता, तब तक उसे पोषण पुर्नवास केन्द्र में रखकर समुचित दवाओं के साथ पोषण आहार देने की व्यवस्था की गई है।