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दूरस्थ क्षेत्र में नहीं अधिकारियों की नजर

locationमंडलाPublished: Dec 07, 2019 11:30:49 am

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

लापरवाही की भेंट चढ़ी शासन की योजनाएं

दूरस्थ क्षेत्र में नहीं अधिकारियों की नजर

दूरस्थ क्षेत्र में नहीं अधिकारियों की नजर

मवई. वनांचल क्षेत्र मवई जो की जिले की सीमा में बसा हुआ है। जिला मुख्यालय से भी अच्छी खासी दुरी है। जिससे आला अधिकरियों का ध्यान भी ज्यादा नहीं जाता। जिसका फायदा मवई में पदस्थ शासकीय कर्मचारी उठाते हैं। अधिकारियों का मंडला और बिछिया से अपडाउन और नदारत रहना आम बात हो गई है। ब्लॉक मुख्यालय के पशुचिकित्सालय जैसे संवेदनशील विभाग की स्थिति और ज्यादा खराब है। लोग पशुचिकित्सालय मवई के चक्कर लगाते फिरते रह हैं लेकिन समय में कभी मवेशियों को समय पर उपचार नहीं मिल रहा है। विगत वर्ष पशुचित्सक मवई के समय पर न मिलने से मवई समेत आसपास के क्षेत्रो की एक हफ्ते के भीतर दर्जनों मवेशियो की मौत हो गई थी। आज भी आलम यही है एक कर्मचारी द्वारा समय पर पशुचिकित्सालय का ताला तो खोल दिया जाता है लेकिन कार्यालय में कोई नहीं मिलता। क्षेत्रवासियो की माने तो मवई में पदस्थ पशु चिकित्सक कभी नहीं मिलते। यहां पदस्थ पशु चिकित्सक मवई कभी कभार ही हाते हैं। कुछ घंटे रहने के बाद अपने शासकीय दस्तावेजो और जानकारियों को पूर्ण कर के वापस लौट जाते हैं। जबकि उनका काम पशु चिकित्सालय में रहकर सेवा देने का है। पशु चिकित्सालय में लापरवाही कम होने के विपरीत बढ़ती जा रही है। पशु चिकित्सालय मवई में पदस्त अधिकारी कर्मचारीयों को आला अधिकारियों का भी डर नहीं है। पशुपालक मानसिंह केराम, प्रभूदयाल, भूरा मरावी आदि का कहना है कि आसपास के लोग या स्थानीय लोगो द्वारा जब अपनी मवेशियों के उपचार के लिए पशुचिकित्सालय मवई लाया जाता है तो कोई सक्षम अधिकारी या कर्मचारी नहीं मिलते। जिससे उनके मवेशियों का उपचार भी नहीं हो सकता। शासन की योजना से खुले पशु चिकित्सा केेद्र मवई पहुंचकर लोग शासन द्वारा स्वम ठगा महसूस कर रहे है की शासन नाम मात्र के लिए पशु चिकित्सा केद्र मवई में खोल कर रखा गया है। इससे कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
शासन की योजना से मवेशियों का बीमा विभाग द्वारा किया जाता है। बीमा अवधी में मावेशी की मृत्यु होने पर आर्थिक सहायता मिलती है। लेकिन मवई में पदस्त चिकित्सक की लापरवाही के चलते लोगो को इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। मवई निवासी भरत चक्रवर्ती ने बताया कि उनके मवेशी की मृत्यु बीमा अवधि में हो गई। जिसकी कार्यवाही भी उसी समय कर दी गई थी। लेकिन आज एक साल बीत जाने के बाद भी सहायता राशि नहीं मिल सकी। बस पशु चिकित्सालय के चक्कर काटना हाथ आया है और मवई में पदस्थ चिकित्सक तो मिलते नहीं है और मिलते है तो सिर्फ गोल मोल बाते करते हैं। जानकारी अनुसार ऐसे अनेक मावेशी मालिक है जिनके बीमा की राशि एक साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी नहीं मिल पाया है।
लाखो की वैक्सीन खराब होने के कगार में
एफएमडी की वैक्सीन मुंह पका, खुरपका बीमारी के रोकथाम के लिए शासन के द्वारा पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे। प्रशासन की योजना से मवेशियों में ठंड के दिनों में होने वाली बीमारियों मुंह पका, खुरपका जैसी बीमारियों के रोकधाम के लिए एफएमडी वैक्सीन विकासखंड स्तर पर उपलब्ध कराई है। जिनकी कीमत लाखों में है। जिसका फायदा लोगो को नहीं मिल पा रहा। लगभग एक माह से ज्यादा का समय बीत गया लेकिन पशु चुकित्सल्य मवई में आए इन वैक्सीन का उपयोग नहीं हो सका।
जानकारी अनुसार इन वैक्सीन को ठंडे स्थान में सुरक्षित रखा जाता है लेकिन इतनी ज्यादा मात्रा में है की इनके लिए फ्रीज की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। अभी कुछ दिन पूर्व इतनी ज्यादा मात्रा में उपलब्ध वैक्सीन और उपयोग न होने की वजह पूछा गया। पशु चिकित्सक मवई से उसके बाद कुछ वैक्सीन को पशु चिकित्सालय मवई से हटा दिया गया। लेकिन लोंगो तक आज तक नहीं पंहुचा ये वैक्सीन क्षेत्र के कुछ चिन्हित ग्रामो तक ही हो पाया है। जबकि सभी मवेशियो के ये वैक्सीन लगना था। बताया जा रहा इन वैक्सीन की कीमत बाजार में बहुत ज्यादा है जिसे शासन द्वारा मुफ्त लगवाया जा रहा था


अपनी मवेशियो के उपचार के लिए पशु चिकित्सा केंद्र मवई के चक्कर लगाते रहता हूं। बीमा राशि प्रकरण में भी लापरवाही के चलते एक साल से नहीं मिल सकी है।
भरत चक्रवर्ती, स्थानीय निवासी मवई
पशु चिकित्सालय मवई भगवान भरोसे चल रहा है। समय में मवेशियो को उपचार नहीं मिलता। मुख्यालय में चिकित्सकों के ना रहने से पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
लक्ष्मी कांत पाठक, स्थानीय निवासी मवई

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