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कभी था गांव में पिंडारियों का डेरा, अब बनी धर्म नगरी

locationमंडलाPublished: Jan 17, 2021 05:30:54 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

जैन समाज के तीन मंदिरों से पहचाना जाता है पिंडरई ग्राम

कभी था गांव में पिंडारियों का डेरा, अब बनी धर्म नगरी

कभी था गांव में पिंडारियों का डेरा, अब बनी धर्म नगरी

नैनपुर. नैनपुर विकासखंड का पठार क्षेत्र जहां कभी पिंडारियों की बस्ती हुआ करती थी। जो अब धार्मिक व्रती नगरी के रूप में पहचान रखती है। पिंडारियों द्वारा बसाया गया नगर अब पिंडरई के नाम से जाना जाता है। सेवानिवृत्त शिक्षक बसंत पटेल ने बताया कि 1905 के पूर्व के यहां आस-पास पिंडारियों की बस्ती हुआ करती थी। पुलिस रिकॉर्ड में इनकी जाति जयराम पैसा के नाम से दर्ज है। इनका मुख्य व्यवसाय राहगीरों के साथ लूट मार, हत्या, डकैती करना था। इन्ही के नाम से पिंडरई गांव का नाम पिंडरई पड़ा। इनकी पिंडरई के आसपास छोटी-छोटी बस्तियां हुआ करती थी। जो एक स्थान से दूसरे स्थान आया जाया करते थे। ब्रिटिश शासन काल के समय कर्नल इसली मेन द्वारा इनका अंत किया गया। कर्नल इसली मेन ने एक अभियान चलाकर पिंडरई में बसे पिंडारियों को पकड़-पकड़ कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया और वही उन्हें फांसी में लटका कर उनका अंत किया। जिससे आम जनता ने राहत की सांस ली थी।


पिंडरई व्यावसायिक नगरी मानी जाती है। 1905 में यहां थाना हुआ करता था। 1905 में जब नैनपुर में रेल लाइन का कार्य प्रारंभ हुआ और रेलवे का डिवीजन ऑफिस नैनपुर में स्थापित हुआ जनसंख्या को देखते तब भी से पिंडरई में संचालित पुलिस थाना को हटाकर नैनपुर थाना बनाया गया ओर पिंडरई में पुलिस चौकी बना दी गई। बताया गया कि पिंडरई के मालगुजार रहे मेहपाल सिंह राजपूत, वर्ष 1947 के बाद इनकी मालगुजारी समाप्त हो गई। उस समय 302 घर के जैन समाज के लोग रहा करते थे जो पिंडरई से मंडला, जबलपुर सहित अन्य नगरों में अपना व्यापार करने बाहर चले गए। सिवनी जिले के केवलारी विकास खंड घंसौर व नैनपुर विकासखंड के लगभग 60 गांव के लोगों द्वारा पिंडरई आकर अपना रोजमर्रा का सामान खरीदा करते हैं। जैन समुदाय के महाराज पुलक सागर महाराज एवं प्रज्ञा सागर महाराज, ब्रह्मचारिणी मुनि श्री जो लगभग 24 से 25 की संख्या में हैं। इन्हीं कारणों के कारण पिंडरई को व्रतीनगरी भी कहा जाता है।
2001 तक रही सामान्य सीट
क्षेत्र के विकास में पंडित जय नारायण तिवारी का योगदान रहा। 96 वर्ष की उम्र में हाल ही में उनका निधन हुआ है। 25 वर्षों से सरपंच रहे पंडित जय नारायण तिवारी ने पिंडरई के सम्पूर्ण विकास में अपना योगदान दिया था। इसी तरह पिंडरई की सामान्य शीट पर सरपंच रही शकुन तला पटेल जो कि 1995 से 2001 तक सामान्य सीट पर सरपंच पद पर मनोनीत रही और पिंडरई का विकास कराया। इसके बाद छठी, अनुसूची लागू होने के बाद ट्राइबल सीट घोषित हो गई। आज भी विकास का कार्य जारी है।


शांति से रह रहे लोग
अब धार्मिक नगरी बन गई है। यहां सभी सामूदाय के लोग शांति सद्भावना के साथ निवास कर रहे हैं। जैन मुनियों के कारण दूर दूर से लोग यहां आते हैं।
बंसत पटेल, सेवानिवृत्त शिक्षक

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