पिंडरई व्यावसायिक नगरी मानी जाती है। 1905 में यहां थाना हुआ करता था। 1905 में जब नैनपुर में रेल लाइन का कार्य प्रारंभ हुआ और रेलवे का डिवीजन ऑफिस नैनपुर में स्थापित हुआ जनसंख्या को देखते तब भी से पिंडरई में संचालित पुलिस थाना को हटाकर नैनपुर थाना बनाया गया ओर पिंडरई में पुलिस चौकी बना दी गई। बताया गया कि पिंडरई के मालगुजार रहे मेहपाल सिंह राजपूत, वर्ष 1947 के बाद इनकी मालगुजारी समाप्त हो गई। उस समय 302 घर के जैन समाज के लोग रहा करते थे जो पिंडरई से मंडला, जबलपुर सहित अन्य नगरों में अपना व्यापार करने बाहर चले गए। सिवनी जिले के केवलारी विकास खंड घंसौर व नैनपुर विकासखंड के लगभग 60 गांव के लोगों द्वारा पिंडरई आकर अपना रोजमर्रा का सामान खरीदा करते हैं। जैन समुदाय के महाराज पुलक सागर महाराज एवं प्रज्ञा सागर महाराज, ब्रह्मचारिणी मुनि श्री जो लगभग 24 से 25 की संख्या में हैं। इन्हीं कारणों के कारण पिंडरई को व्रतीनगरी भी कहा जाता है।
2001 तक रही सामान्य सीट
क्षेत्र के विकास में पंडित जय नारायण तिवारी का योगदान रहा। 96 वर्ष की उम्र में हाल ही में उनका निधन हुआ है। 25 वर्षों से सरपंच रहे पंडित जय नारायण तिवारी ने पिंडरई के सम्पूर्ण विकास में अपना योगदान दिया था। इसी तरह पिंडरई की सामान्य शीट पर सरपंच रही शकुन तला पटेल जो कि 1995 से 2001 तक सामान्य सीट पर सरपंच पद पर मनोनीत रही और पिंडरई का विकास कराया। इसके बाद छठी, अनुसूची लागू होने के बाद ट्राइबल सीट घोषित हो गई। आज भी विकास का कार्य जारी है।
शांति से रह रहे लोग
अब धार्मिक नगरी बन गई है। यहां सभी सामूदाय के लोग शांति सद्भावना के साथ निवास कर रहे हैं। जैन मुनियों के कारण दूर दूर से लोग यहां आते हैं।
बंसत पटेल, सेवानिवृत्त शिक्षक