मंडलाPublished: May 18, 2021 06:09:36 pm
Mangal Singh Thakur
मजबूरी को बनाई ताकत
कभी करते थे पलायन, अब स्वयं के रोजगार से जुड़े युवा
मंगल सिंह
मंडला. कोरोना संक्रमण काल ने हजारों युवाओं को बेरोजगार कर दिया। पिछले साल के संक्रमण से जैसे तैसे उभरे कर रोजगार मिला तो इस साल फिर रोजगार गवां दिए। लेकिन इसमें से कई युवा ऐसे भी जो मजबूरी को अपनी ताकत बनाई और संघर्ष करके स्वयं का रोजगार स्थापित कर लिया है। उन्ही में से एक मोहगांव विकासखंड के ग्राम मचला निवासी धूपलाल धुर्वे हैं। जो कोरोना संकट काल के पूर्व छत्तीसगढ़ में जाकर पार्ट टाइम जॉब किया करते हैं। पिछले साल कोरोना कफ्र्यू में घर लौटे तो वापस ना जाने के लिए स्वयं के रोजगार के लिए जुट गए। जिसके बाद 29 वर्षीय धूपलाल पिता प्रीतम लाल धुर्वे को कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों का मार्गदर्शन मिला। कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ आरपी अहिरवार, डॉ विशाल मेश्राम, डॉ प्रणय भारती और नील कमल पन्द्रे के मार्गदर्शन में ग्रामीणों को खेती के लिए प्रशिक्षण दिया। जिसमें धूपलाल भी शामिल हुए। प्रशिक्षण के बाद स्वयं की एक एकड़े जमीन में बैगन, टमाटर एवं मिर्च की उन्नत खेती टपक सिंचाई द्वारा की। खाद के रूप में कम्पोस्ट खाद का उत्पादन वेस्टडीकम्पोजर द्वारा किया और फसल के उन्नति में लग गए। धूपलाल धुर्वे ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण काल के पहले गांव से दूर छतीसगढ़ में पार्ट टाइम जॉब कर रहा था। लॉकडाउन के समय मई माह में जॉब न रहने के कारण गांव वापिस लौट कर बेरोजगार का जीवन निवार्ह करने को मजबूर हो गया। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से भारत सरकार के प्रवासी मजदूरो के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान अंतर्गत तीन दिवसीय रोजगार उन्मूलक प्रशिक्षण प्राप्त किया एवं प्रशिक्षण से प्रेरित होकर स्वयं का रोजगार ड्रिप इरिगेशन द्वारा मिर्ची, टमाटर, बैगन का उत्पादन कार्य प्रारंभ किया। जिसमें लागत 25 हजार रुपए आई जिसके बाद अब तक 3 क्विंटल मिर्च से 18 हजार एवं 2 क्ंिवटल टमाटर से 8 हजार रुपए का विक्रय कर चुका है। अभी उत्पादन कार्य चालू है और भटे की तुड़ाई प्रारंभ होने वाली है साथ ही जिससे और अधिक आमदनी प्राप्त होने की संभावना है और भविष्य मे मशरूम उत्पादन का कार्य भी प्रारंभ करने पर विचार कर रहा है।
वीरान खेत में ला दी हरियाली
दो युवकों के प्रयास ने वीरान खेत में हरियाली ला दी। वहीं अब युवकों को किसी से रोजगार मांगने की जरूरत भी नहीं पड़ रही है। जानकारी के अनुसार बिछिया विकासखंड के ग्राम माझीपुर में लगभग 100 परिवार की आजीविका का मुख्य साधन सब्जी की खेती है। उनमें से दो युवक देवा मरावी पिता रंगीलाल उम्र 35 बर्ष, सुरेन्द्र सिंह तेकाम पिता अकल सिंह तेकाम 36 वर्ष विगत वर्ष तक मजदूरी की तलाश में आसपास गांव व बिछिया नगर में भटकते थे। विगत वर्ष कोरोना संकट में लगे लाकडाऊन और गांव में अन्य किसानों से प्रेरणा लेकर संकल्प लिया की अब वह उद्यानिकी खेती करेंगे। दोनों ने अपने संकल्प को पूरा करने एक एकड़ जमीन में टमाटर, भिंडी, बरबटी, गिलकी भुट्टे लगाए। जिससे अब युवक एक हजार रुपए दिन कमा रहें हैं। खास बात यह है इनकी फसल खेत से ही बिक जातीं हैं। यह भी अपने ग्राहकों को प्रसन्न करने के लिए उनके सामने सब्जियां, भुट्टे तोड़कर देते है। राहगीरों से उन्हें 5 रुपए की जगह भुट्टे भूंजकर देने से पर 10 रुपए मिल जाते हैं। दोनों युवक ने जब से बोनी की हैं वहीं खेत में झोपड़ी बनाकर दिनरात रहते हैं। स्वंय ही निदाई, गुडाई करतें हैं, फसल को पानी देते हैं। इनके परिश्रम से जो खेत इन दिनों वीरान रहते थे, उनमें हरियाली छा गई है। जहां लाकडाऊन में लोगों के सामने जीविका की समस्या है वहां ये युवा किसान ने चुनौती को अवसर में बदलकर प्रेरणा का काम किया है ।