अनेक फुटकर व्यापारी सहित सब्जी विक्रेता नही रहे सिक्के
मंडला
Published: May 08, 2022 02:40:49 pm
मंडला. शहर व बाजार क्षेत्र में 1 व 2 रुपए के सिक्कों चलन से बाहर हो गए हैं, अब ज्यादातर दुकानदारों ने एक और दो रुपए के सिक्कों लेना बंद कर दिया है। ऐसी स्थिति में लोगों को छोटी वस्तुएं खरीदने में परेशानी हो रही है। 1 और 2 रुपए में आने वाली वस्तु भी लोगों को 5 या 10 रुपए की लेनी पड़ रही है। खास बात यह है कि सिक्कों नहीं लेने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई तक नहीं हो रही है। ऐसे में जिले में सिक्कों का प्रचलन बंद होता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानि आरबीआई ने किसी सिक्कों के चलन को बंद नहीं किया है, लेकिन जिले में दुकानदारों ने एक और दो रुपए के सिक्कों को चलन से बाहर कर दिया है। यानी एक या दो रुपए के सिक्कों से कोई सामान ही नहीं देता। एक और दो रुपए के सिक्कों को लेकर दुकानदार और ग्राहकों में आए दिन विवाद की स्थिति बन रही है। दुकानदारों का कहना है कि 10-20 रूपए के सामान के लिए भी ग्राहक एक और दो रुपए के चिल्लर लेकर आ जाते हैं और जब दुकानदार को चिल्लर लौटाना होता है तो ग्राहक मुंह फेरने लगते हैं। ऑटो व बस चालक भी सिक्कों के लेनदेन में मना करते हैं। यहां तक कि मंदिरों में भी अब पुजारी एक व दो रुपये के सिक्कों नहीं बल्कि दस रुपए से अधिक का चढ़ावा ले रहे हैं।
गुमटी ठेले वाले भी नहीं ले रहे छोटे सिक्कों
एक व दो रुपए के सिक्कों देकर सामान लेना अब आसान नहीं रह गया है। दस रुपए से कम के सिक्कों लेने में दुकानदार आनाकानी करते हैं। गुुमटी ठेले वाले भी सामान खरीदने पर छोटे सिक्कों नहीं ले रहे हैं। अधिक सामान लेने पर भी बड़े दुकानदारों द्वारा छोटे सिक्कों थमा दिए जाते हैं, लेकिन जब सामान के बदले उन्हें सिक्कों दिए जाते हैं तो वह सामान देने से साफ मना कर देते हैं।
लोगों को खरीदना पड़ रहा ज्यादा सामान
सिक्कों को दुकानदारों द्वारा नहीं लेने से लोगों को बड़े नोट देने पड़ रहे हैं और ज्यादा सामग्री भी खरीदनी पड़ रही है। ज्यादा सामान आने पर एक तरफ उनका बजट बिगड़ रहा है, वहीं सामग्री भी खराब होती है। जिनके पास एक और दो रुपए के सिक्कों रखे हुए हैं, दुकानदारों द्वारा नहीं लेने से सिक्कों की रकम बेकार साबित हो रही है।
बैंक भी चिल्लर जमा नहीं करते इसलिए लेना बंद किया
नोटबंदी के बाद बाजार में सिक्कों अधिक आ गए हैं, जबकि पहले चिल्लर यानी खुल्ले पैसों का संकट रहता था। नोटबंदी के बाद आरबीआई ने सिक्कों अधिक जारी कर दिए। ऐसे में बाजार में चिल्लर ज्यादा आ गए हैं। चूंकि बैंक चिल्लर को जमा नहीं करते, इसलिए दुकानदारों ने उसे लेना ही बंद कर दिया है।
भारतीय मुद्रा के अपमान पर यह है सजा
यदि कोई भी व्यक्ति और दुकानदार सिक्कों लेने से इंकार करता है तो वह भारतीय मुद्रा का अपमान है। ऐसा करने पर उसकी शिकायत संबंधित बैंक या पुलिस से कर सकते हैं। भारतीय मुद्रा का बहिष्कार करने पर 7 साल से 12 साल तक की सजाए 20 हजार रुपए का जुर्माना या फिर दोनों सजा भी हो सकती है।
टॉफी या माचिस बनी मुद्रा
किराना दुकानों पर 1 व 2 रुपए के सिक्कों का विकल्प टॉफिया या माचिस बन गई हैं। एक रुपए की टॉफी या 1 रुपए की माचिस सिक्कों के बदले थमाई जा रही है। जिससे लोगों को जरुरत न होने पर जबरन टॉफी या माचिस दुकानदार द्वारा पकड़ा दी जाती है, जिसका कोई विरोध भी नहीं कर पाता है।
इनका कहना -
एक और दो रूपए के सिक्के की समस्या जिले में अधिक बढ़ गई है। सिक्कों को लेकर जब बाजार में सामान खरीदने जाते हैं, तो दुकानदार एक और दो के सिक्के नहीं चलने की बात कर सामान देने से मना कर देते हैं। पांच और दस रुपए या इससे अधिक का सिक्का या नोट देने के बाद ही दुकानदार सामान देने को राजी होते हैं।
अवनीत बैरागी, नागरिक
आज के समय में दुकानदार, सब्जी विक्रेता 1 या 2 के सिक्के के बजाय 5 और 10 के नोट मांगते हैं। 1 या 2 के सिक्के लेने से साफ मना कर देते है। उनका कहना होता है कि अगर आपकों समान लेना है तो 5 या 10 के सिक्के या नोट से समान ले, हमारी दुकान में 1 या 2 का सिक्का नही चलता है।
नवनीत बैरागी, नागरिक
एक व दो रुपए के सिक्के से अब सामान लेना आसान नहीं रह गया है। पांच-दस रुपए से कम के सिक्कों लेने में दुकानदार आनाकानी करते हैं। गुुमटी ठेले वाले भी सामान खरीदने पर छोटे सिक्के नहीं ले रहे हैं। अधिक सामान लेने पर भी बड़े दुकानदारों द्वारा छोटे सिक्के थमा दिए जाते हैं, लेकिन जब सामान के बदले उन्हें सिक्के दिए जाते हैं तो वह सामान देने से मना कर देते हैं।
विवेक दुबे, नागरिक
शहर में एक व दो रुपए के सिक्के फुटकर छोटे दुकानदार तो ले रहे हैं, लेकिन कई जगह दुकानदार सिक्के लेने से मना कर दे रहे हैं। ऑटो चालक भी सवारियों से छोटे सिक्के लेने से मना करते हैं। ऑटो चालक दस रुपए का नोट या सिक्का तो लेते हैं, लेकिन एक व दो रुपए के सिक्के नहीं लेते हैं।
नीतेश पटेल, नागरिक
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