मंडला

शाम होते ही एक आंख से दिखना हो जाता है बंद, दिव्यांगता प्रमाण पत्र से मिली राहत

जिला चिकित्सालय में परामर्शदाता ने कराया समस्या का समाधान

मंडलाOct 31, 2021 / 09:06 am

Mangal Singh Thakur

शाम होते ही एक आंख से दिखना हो जाता है बंद, दिव्यांगता प्रमाण पत्र से मिली राहत

शाम होते ही एक आंख से दिखना हो जाता है बंद, दिव्यांगता प्रमाण पत्र से मिली राहत
मंडला। शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कानून बना और 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य हुई। सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाएँ अस्तित्व में आईं। लेकिन हम देखते हैं कि कई प्रावधानों, योजनाओं के बावजूद हमारे आस-पास ही कई बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा से वंचित हैं। ऐसे में उन बच्चों की शिक्षा की स्थिति का ठीक-ठीक अनुमान लगाना मुश्किल है जो किसी प्रकार की शारीरिक अक्षमता से ग्रस्त हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शायद ही कोई दृष्टिहीन बच्चा आपको शासकीय विद्यालय में पढ़ता हुआ दिखाई देगा।
कोविड के कारण स्कूलों के बंद होने से बच्चे असमान्य रूप से प्रभावित हुए क्योंकि महामारी के दौरान सभी बच्चों के पास सीखने के लिए जरूरी अवसर, साधन या पहुंच नहीं था। जिससे अधिकत्तर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित भी हुई। जिसमें सामान्य बच्चों से लेकर शरीरिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे भी शामिल है। हम ऐसे ही एक 14 वर्षीय दिव्यांग बालिका विकासखंड बिछिया ग्राम लफरा निवासी की बात कर रहे है, जिसको एक आंख से देखने में परेशानी है। वह अपनी इस समस्या से काफी परेशानी थी। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें, क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, माता पिता भी अशिक्षित है। जिसके कारण उसकी शरीरिक परेशानी का समाधान नहीं हो पा रहा था। ऐसे में कोरोना महामारी का कहर पूरे देश पर टूट गया और समस्या जस की तस बनी रही।
लफरा निवासी किशोरी अपनी आंख की समस्या से काफी परेशान थी, किशोरी कक्षा आठवीं की परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन किशोरी को एक आंख में समस्या होने के कारण पढऩे में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसी दौरान उसको पढ़ाने वाले शिक्षक रामानंद पटेल ने किशोरी की परेशानी समझी और उसे जिला चिकित्सालय में स्थित उमंग स्वास्थ्य क्लिनिक में पदस्थ परामर्शदाता श्रीमति संजना राय के पास लेकर आए। यहां परामर्शदाता संजना राय ने किशोरी की काउंसलिंग की। उसकी समस्या को सुना और समझा।
योजना के बारे में दी जानकारी :
काउसिलिंग के दौरान किशोरी ने बताया कि उसे आगे और पढ़ाई करना है, लेकिन आंख से देखने में परेशानी और परिवार की आर्थिक स्थिति उसकी पढ़ाई के बीच में आ रही थी। जिससे परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। किशोरी ने बताया कि उसे दिन में एक आंख से धुंधला दिखाई देता है और शाम होते ही उस आंख से उसे दिखना बंद हो जाता है। जिससे काफी परेशानी होती है। उसकी सभी बाते सुनने के बाद परामर्शदाता संजना राय ने उसको राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की जानकारी दी और इसके अंतर्गत मिलने वाली नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं को बताया। परामर्शदाता ने उसे दिव्यांगता प्रमाण पत्र के विषय में बताया। किशोरी ने बताया कि उसे दिव्यांगता प्रमाण पत्र के बारे में सुना था लेकिन पूर्ण जानकारी नहीं थी, जिसके कारण प्रमाण पत्र नहीं बनवा पाई।

चिकित्सक ने दी सलाह:
परामर्शदाता ने किशोरी की ओपीडी पर्ची बनवाकर उसे चिकित्सक अहिरवार के पास ले गई। चिकित्सक अहिरवार ने किशोरी की आंखो की जांच की। जिसमें उन्होंने किशोरी को निम्न द्वष्टि दोष बताया। किशोरी को चिकित्सक के पास आने में काफी देर हो गई थी। जिसके कारण उसकी आंखों की समस्या दूर होने में काफी समय लगेगा। यहां चिकित्सक ने किशोरी को चश्मा लगाने की सलाह दी। जिससे पढऩे में थोड़ी मदद मिल सके। आंख की समस्या को पूरी तरह तो दूर नहीं किया जा सकता, लेकिन आर्थिक मदद कर उसकी कुछ समस्या का समाधान किया जा सकता था। जिसके लिए चिकित्सक ने कहां कि इसका दिव्यांगता प्रमाण पत्र बना सकते है, जिससे किशोरी को आर्थिक मदद के साथ पढ़ाई जारी रखने में मदद मिल सकती है।
निरंतर कर रही अध्यापन :
चिकित्सक के परामर्श के बाद काउंसलर संजना ने किशोरी को प्रमाण पत्र में लगने वाले आवश्यक दस्तावेज की जानकारी दी। उसके बाद किशोरी को मंगलवार को जिला चिकित्सालय बुलाया। जिससे विकलांगता प्रमाण पत्र के लिये आवेदन किया जा सके। किशोरी मंगलवार को अपने स्कूल के शिक्षक रामानंद पटैल के साथ उंमग क्लीनिक पहुंची। परामर्शदाता संजना ने किशोरी के आवेदन एवं दस्तावेज दिव्यांग बोर्ड में जमा कराये एवं किशोरी को इस तरह दिंव्यागता प्रमाण पत्र प्रदान कराने मेें सहायता प्रदान की। अब किशोरी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लफरा में कक्षा 9 वी में प्रवेश ले लिया है। किशोरी अब लगातार स्कूल जा रही है, अब वह अपनी पढ़ाई को निंरतर कर रही वह बहुत खुश है।

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