पीडि़तों के अनुसार ठग के पास गर्भवती महिलाओं की पूरी डिटेल है कि उसके कौनसा महीना चल रहा है। कार्यकर्ता कौन है, एएनएम कौन है कहां जांच चल रही है। सही सही जानकारी बताने और खुद को जिला अस्पताल में कार्यरत होने की बात कहने के कारण पीडि़तों ने भी भरोसा कर लिया। ठगी के शिकार होने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पास पहुंचते तो पता चला कि पीडि़तों से पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पास भी ठग का कॉल आया था। उनसे बैंक खाता नंबर, आधार नंबर की जानकारी ठग ने मांगी लेकिन कार्यकर्ता ने जानकारी नहीं दी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने इस संबंध में उच्च अधिकारियों को जानकारी दी है। वहीं पीडि़तों ने पुलिस विभाग के सायबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है। जहां मामले की जांच की जा रही है।
केस 01
अमगवां के प्रदीप कार्तिकेय के परिवार में प्रसव होने वाला है। बुधवार को मोबाइल पर कॉल आया कि आप अमगवां से बोल रहे हैं। आपके परिवार में सरिता कर्तिकेय की डिलेवरी होने वाली है। इसके लिए सरकार से जो सहायता दी जाने वाली है वो कोरोना कफ्र्यू के कारण आपके खाते में जमा नहीं करवा पा रहे हैं। इसके लिए आपको फोन-पे पर राशि जारी की जाएगी। इसके बाद वाट्सअप पर एक लिंक भेजी गई। जिसमें पांच हजार रुपए पेय करने के लिए कहा गया। लिंक के माध्यम से पांच हजार रुपए अपने एकाउंट में ले लिए।
केस 02
दूसरा कॉल सज्जन कार्तिकेय के मोबाइल पर आया तो उसने पूछा आप कहां से बोल रहे हैं तो ठग ने अपना नाम दीपक शर्मा जिला अस्पताल से बोलने की बात। कहा कि आप अस्पताल में जांच कराने आते हैं। इसके साथी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का नाम बताया और अन्य जानकारी दी। जिस पर भरोसा करते हुए सज्जन ने वाटï्सअप पर भेजे लिंक में क्लिक कर के 2 हजार 500 रुपए भेज दिए। लेकिन जब उन्हें ठगी होने का पता चला तो ठग ने और राशि डालने की मांग करनी शुरू कर दी।
केस 03
तीसरा कॉल अमरेश सिंगरौरे के पास आया। कहा कि आप के यहां कवेरी सिंगरौरे की डिलेवरी होने वाली है। इसके बाद पता, आगंनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम आदि की जानकारी देकर अमरेश को अपने भरोसा में ले लिया। फोन पे से राशि भेजने के नाम पर लिंक भेज कर पांच हजार रुपए अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए। राशि जमा होने की वजह खाते से कटने की जानकारी लगते ही पीडि़त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीना दुबे के पास पहुंचे और जानकारी ली।