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कोरोना काल में घर बैठे हो गए ऑन लाईन गे्रजुएट

locationमंडलाPublished: Jan 26, 2022 12:27:53 am

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

1334 छात्रों ने दी ऑन लाईन परीक्षा, सिर्फ 05 हुए अनुत्तीर्ण

कोरोना काल में घर बैठे हो गए ऑन लाईन गे्रजुएट

कोरोना काल में घर बैठे हो गए ऑन लाईन गे्रजुएट

कोरोना काल में घर बैठे हो गए ऑन लाईन गे्रजुएट
प्रहलाद कछवाहा
मंडला। कोरोनाकाल में संक्रमण के कारण जिंदगियां थमी हुई थीं तो दूसरी ओर मंडला जिले में हजारों युवा अपनी अधूरी पढ़ाई को पूरा करने में लगे थे। कोरोनाकाल में घर बैठे परीक्षा देने का फायदा उठाने के लिए आरडी कॉलेज मंडला और गल्र्स कॉलेज से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट के परीक्षार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। विगत वर्ष 2020 में परीक्षार्थियों की संख्या कम थी, वर्ष 2021 में ऑन लाईन परीक्षा होने के कारण परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ गई।
बता दे कि कोरोना काल में लोगों के पास करने को कुछ नहीं था। सारी परीक्षाएं भी ऑनलाइन हो रहे थे मतलब घर पर ही बैठकर उत्तर पुस्तिका भरनी थी। ऐसे में लोगों ने मौके का फायदा उठाया और परीक्षा का फॉर्म भर दिया। कोरोना काल में छात्रों की संख्या बढऩे का कारण भी ऑन लाईन परीक्षा ही था। कोरोना महामारी ने अर्थ व्यवस्था के साथ शिक्षा व्यवस्था को भी चौपट कर दिया है। लगातार दो साल तक महाविद्यालयों में परीक्षा ना होकर ऑन लाईन परीक्षा कराई गई। कहने के लिए छात्रों की ऑनलाइन क्लास लगी। छात्रों ने दो साल में न तो एक दिन कॉलेज जाकर क्लास में बैठे और न ऑनलाइन पढ़ाई की। जिले में हजारों छात्र न कॉलेज गए और न किताब खोली, कोरोना महामारी ने उन्हें घर बैठे ही ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट करा दिया।
घर बैठे लिखने थे उत्तर इसलिए भर दिया फॉर्म :
बताया गया कि जब छात्रों को पता चला कि कोरोना काल में ऑनलाइन परीक्षा हो रहे हैं और घर पर ही पढ़ाई कर परीक्षा देनी है तो ऐसे छात्रों ने भी परीक्षा फॉर्म भर दिया जो ग्रेजुएट होने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई नहीं कर रहे थे और कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उन छात्रों ने भी परीक्षा दी है जिन्होंने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और परीक्षा में पास हो गए। कोरोना काल का सबसे ज्यादा फायदा जिले के परीक्षार्थियों ने उठाया। बिना पढ़े सब पास हो गए।
1334 ने ग्रेजुएशन के पर्चे दिए :
वर्ष 2021 में बीए, बीएससी और बी कॉम के 1334 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। इन 1334 परीक्षार्थियों में बीए तृतीय वर्ष के लिए 663 छात्र, बीएससी तृतीय वर्ष 431 छात्र और बी कॉम तृतीय वर्ष में 240 छात्रों ने इन कोर्सेस के लिए आवेदन किया। जिसमें बीए में 662 छात्र उत्तीर्ण हुए और 01 छात्र अनुत्तीर्ण, बीएससी कोर्स में 427 छात्र उत्तीर्ण और 04 छात्र अनुत्तीर्ण हुए। बी कॉम तृतीय वर्ष में 240 छात्र उत्तीर्ण हुए। बी कॉम तृतीय वर्ष में शत प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए। वहीं जिले में संचालित गल्र्स कॉलेज अध्ययनरत 206 छात्राओं ने ऑन लाईन परीक्षा दी। जिसमें सभी 206 छात्राएं उत्तीर्ण रही। गल्र्स कॉलेज का परिणाम वर्ष 2021 में शत प्रतिशत रहा।
आसानी से पास हो सकते हैं इसलिए बढ़ी रुचि :
कोरोना काल में परीक्षा देने वालों की संख्या बढऩे का कारण संक्रमण को देखते हुए बंदिशें रही। इस स्थिति में लोगों के पास घरों पर बैठने के अलावा दूसरा काम नहीं था। ऐसे में लोगों ने समय काटने के लिए पढ़ाई की शुरुआत की। वहीं दूसरा बड़ा और महत्वपूर्ण कारण यह था कि सभी को पता था कि परीक्षाएं ऑनलाइन होनी हैं और उत्तर पुस्तिका घरों में बैठकर भरनी है। ऐसे में कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मौके का फायदा उठाया।
पांच परीक्षार्थी हुए फेल :
विगत वर्ष कोरोना काल में कॉलेज बंद हुए तो छात्र, छात्राओं का पढ़ाई से मोह भंग होने लगा। कॉलेज ना लगने के कारण छात्रों की पढ़ाई की ओर रूचि कम होने लगी। किताबें जहां थी वहीं रखी रह गई। इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में कमी देखने को मिली। घर बैठे परीक्षा देने पर भी जिले के बीए तृतीय वर्ष के 01 छात्र और बीएससी तृ़तीय वर्ष के 04 छात्र अनुत्तीर्ण हो गए। छात्र घर बैठे परीक्षा देने के बाद भी पास नहीं हो सके।
एक्सपर्ट कमेंट
कोरोना की निरंतर दो भयावह लहरों ने जनमानस को न केवल हिलाकर रख दिया था, बल्कि समस्त व्यवस्थाओं व तंत्र को भी अस्त व्यस्त कर दिया था। ऐसे में हमारी केंद्र व राज्य सरकार ने हालातों को देखते हुए अत्यंत उचित व समयानुकूल निर्णय लिए। उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत न केवल अधिकांश समय अध्यापन ऑनलाइन रहा, बल्कि लगातार दो वर्ष परीक्षाएँ भी ओपन बुक पद्धति से हुईं। दरअसल जान है तो जहान है के अंतर्गत कोविड के सामुदायिक संक्रमण से बचाव के लिए यह आवश्यक भी था। ओपन बुक पद्धति के अनुसार परीक्षाएं भी हुईं और परिणाम भी घोषित हुए। जिसमें प्राय: शत-प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए। इसे एक अच्छा विकल्प माना गया है। वैसे भी हर निर्णय समय व परिस्थितियों के अनुसार ही होना चाहिए। बेशक पढ़ाई व परीक्षाएं तो आवश्यक हैं, पर विद्यार्थियों व लोगों की प्राण रक्षा भी आवश्यक है। हालातों व बीमारी को देखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई व ओपन बुक परीक्षा को पूरी तरह उचित ही माना जाएगा।
डॉ. शरद नारायण खरे, प्राचार्य, शासकीय कन्या महाविद्यालय, मंडला
स्नातक फाईनल में कुल छात्र – 1334
अनुतीर्ण छात्र – 05
उत्तीर्ण छात्र – 1329

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