पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने विभिन्न मापदंडों के तहत 100 अंक रखे थे। जैसे लेबर इंगेजमेंट-20 अंक, समय पर मजदूरों को वेतन-15 अंक, अपूर्ण कार्य-10 अंक, लंबित काम-5 अंक इसके अलावा पानी के कार्य, मटेरियल काम की प्रगति में 10-10 अंक निर्धारित किए गए थे। जिसमें मंडला जिले को 68 से 78 के बीच अंक के साथ सी ग्रेड दिया गया है। मनरेगा में काम ना खुलने से जिले के मजदूर अब महानगरों की ओर कूच करने लगे हैं। जिले की सीमा से लगे नैनपुर, नारायणगंज, बिछिया, निवास के बस स्टैंडों में मजदूरों के पलायन की तस्वीर साफ देखी जा सकती है।
कोरोना संकट काल में सरकार ने पंचायतो के जरिए लोगो को अधिक से अधिक कार्य देने का लक्ष्य दिया था। इसके लिए बाकयदा योजना में फंड भी बढाया गया। लेकिन सरकार के प्रयासो को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में जिम्मेदरों को सफलता नहीं मिल रही है। पंचायतो में कार्य के लिए जनपद पंचायत के साथ मिलकर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ऐसे काम सृजन करती है जिससे लोगो को रोजगार के साथ-साथ जमीन में विकास कार्य भी हो सके।
36 पंचायतों में ना के बराबर काम
कोरोना संकट आने के बाद से जनपद पचायत निवास के अंतर्गत आने वाली 36 पंचायतो में मनरेगा के काम न के बराबर चल रहे हैं। इसके कारण ही दूसरी योजनाओं में कराये गए काम की मजदूरी मनरेगा से करवाए गए हैं। निवास ब्लॉक में बीते 6 माह में मनरेगा के तहत 16 फलोउद्यान और 3 सार्वजनिक कूप ही स्वीकृत हुए हंै। जबकि मनरेगा योजना के तहत मेढ़बंधन सहित दर्जनो कार्यो की स्वीकृति शून्य है जिनसे रोजगार उपलब्ध हो सकता था। पीएम आवास में ही सबसे ज्यादा भुगतान किया गया है।
इस वित्तीय वर्ष के शुरूआत में जारी हुए काम नाडेप, मुक्तिधाम शेड निर्माण के बने छ माह गुजर गए है अभी तक मूल्यांकन और बिल वेरीफिकेशन में मामला लटका है। पंचायतो को दवाब देकर कार्य तो करा तो लिया जाता है पर भुगतान में लेटलतिफी की जाती है। भुगतान प्रकिया में देरी के चलते पंचायत प्रतिनिधि, मजदूर और सामग्री देने वाले इस योजना से भागते हैं।
दूसरी योजनाओं ने दिलाई राहत
पंचायतो में पंच परमेश्वर और 14वें,15वें वित्त योजना के जरिए ही सबसे ज्यादा काम कराए गए हैं। इन योजनाओं से निवास में 6 माह में 33 सीसी रोड, वाटर हार्वेस्टिंग 13, शेड निर्माण 2 एवं रगंमंच, पुलिया और उचित मूल्य एक एक कराए गए हैं। इस योजना में पंचायत प्रतिनिधियों को कार्य स्वीकृति और मूल्यांकन के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। ग्रामीणों का कहना है कि इस योजना के कार्य न हो तो मजदूर काम के लिए तरस जाए। पीएम आवास और शौचालय कार्य में 70 फीसदी मजदूरी भुगतान हुआ है। जानकारों का कहना है कि ग्रामीण यंात्रिकी विभाग में कोई लेखा जोखा नहीं होता। जिससे यह पता लग सके कि किस किस पंचायत ने तकनीकी स्वीकृति के लिए प्रस्ताव, नक्सा, खसरा दिया है। जिन कामो की स्वीकृति हो जाती है उनका ही रजिस्टर रखा जाता है। जब भी नोटिस जारी होते हैं सारी गलती पंचायत पर फोड़ दी जाती है कि कार्य की मांग ही नहीं कि गई है। बताया गया कि मनरेगा के तहत निवास जनपद की 36 पंचायतों में से आधा दर्जन पंचायतों में मजदूरी का भुगतान शून्य है।
इनका कहना
एक बार फिर पंचायतो में कार्य न होने से दर्जनो पंचायतो से काम की तलाश में पलायन शुरू हो गया है। पंचायत निर्माण एंजेसी होने के बाद भी कार्य को ठेके से दे दिया जाता है। जिससे स्थानीय लोगों को काम नहीं मिलता। पर्याप्त कार्य भी नहीं हो रहा है।
अशोक नामदेव, कांग्रेस नेता
मूल्यांकन में अगर देरी हो रही है तो संबंधित उपयंत्रियों से जानकारी ली जाएगी। मजदूरों को गांव में ज्यादा रोजगार मिल सके इसके प्रयास किए जाएंगे। मनरेगा में काम नहीं है तो इसके लिए समीक्षा बैठक में बात उठाई जाएगी।
युवराज गजविए, एपीओ, निवास जनपद
मनरेगा के तहत काम ना खोले जाने को लेकर केन्द्रीय मंत्री के समझ बात रखी जाएगी। मूल्यांकन के लिए सीईओ से चर्चा की गई है लापरवाह उपयंत्रियों को शॉ काज नोटिस जारी कर कार्य को जल्द गति देने कहा जाएगा।
सौरभधर द्विवेदी, सांसद प्रतिनिधि