मंडलाPublished: Oct 10, 2020 09:33:41 pm
Mangal Singh Thakur
इलाज कराने जाने वाले यात्री सर्वाधिक परेशान
Only 20 buses out of 165 operated, Nagpur route closed
मंडला. कोरोना काल में लॉकडाउन से राहत मिलने के बाद भले ही जिले में बसों का संचालन तो शुरू हो गया है। लेकिन जिस रूट पर बसों का उपयोग लोग महाराष्ट्र के नागपुर जाने के लिए करते हैं। उस रूट पर बसें बंद हैं। इससे नागपुर जाने वाले यात्रियों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके अलावा मंडला-बालाघाट रूट पर बसों का संचालन नहीं होने के कारण इस रूट से गोङ्क्षदया-महाराष्ट्र जाने वाले भी परेशान हो रहे हैं। नागपुर रूट पर महज इक्का दुक्का बसें ही चल रही हैं वह भी अनियमित रूप से। इससे लोगों की परेशानी बनी हुई है। गौरतलब है कि जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं लचर हैं। न ही यहां मेडिकल स्पेशलिस्ट हैं और न ही मेडिकल कॉलेज। जबलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज जाकर इलाज कराने के बजाय जिले के लोग महाराष्ट्र के नागपुर-गोंदिया आदि शहरों की ओर ही रुख करते हैं। नागपुर जाने के लिए मंडला-सिवनी-नागपुर रूट का इस्तेमाल किया जाता है और गोंदिया जाने के लिए मंडला-बालाघाट-गोंदिया रूट से लोग रवाना होते हैं। यहां जाने के लिए बसों का उपयोग करते हैं। इस रूट पर पहले की तरह बसें नहीं चलने के कारण मरीजों का हाल सबसे बुरा है।
बस संचालन बंद करने की तैयारी
कोरोना संकट से पहले जहां जिले से विभिन्न रूटों पर 165 बसें संचालित होती थी वहीं अब महज 20-22 बसें संचालित की जा रही है। दूसरे जिले में आने वाली बसों की संख्या भी काफी कम है। लगातार नुकसान झेल रहे बस संचालकों ने शासन से विभिन्न कारण गिनाकर यात्री किराया जल्द बढ़ाने की मांग की है। साथ ही आदेश जारी नहीं होने पर बसें जल्द बंद होने की भी चेतावनी दी है।प्रदेश स्तरीय एसोसिएशन के इस निर्णय पर मंडला के बस संचालकों ने भी सहमति जताते हुए चर्चा की बात कही है। सरकार को 14 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया गया है। अगर किराया नहीं बढ़ता है तो 15 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में बसों का संचालन बंद हो सकता है। ऑपरेटरों का कहना है कि डीजल, बसों के टायर व पाट्र्स के दामों में इजाफा हुआ है। इसलिए 50 फीसदी किराया बढ़ाया जाना जरुरी है। डीजल, बसों के टायर व पाट्र्स के दामों में इजाफा हुआ है।
कम हो रही संख्या
वर्तमान में पहले पांच किलोमीटर का किराया सात रुपए और फिर एक रुपए प्रति किलोमीटर है। प्रस्ताव में पहले पांच किलोमीटर का किराया 10 और फिर प्रति किलोमीटर डेढ़ रुपए किराया बढ़ाने की मांग की जा रही है। अब तक शासन ने किराया नहीं बढ़ाया है। ऐसे में लगातार घाटा होने से बस संचालक खुद ही बसें बंद करते जा रहे हैं। कोरोनाकाल में यात्री नहीं मिलने से रोजाना 200 किलोमीटर मार्ग पर एक बस संचालित करने पर 6 हजार रुपए तक घाटा हो रहा है। वर्तमान में 20 फीसदी से ज्यादा यात्री नहीं मिल रहे हैं। जिले से जबलपुर के लिए 8, डिंडोरी के लिए 7, सिवनी के लिए 5, रायपुर-नागपुर के लिए मात्र 2 बसों का संचालन हो रहा है। लगभग 15-20 बसों का जिले के अंदर निवास, बिछिया, नैनपुर, घुघरी तक चल रही हैं। बालाघाट के लिए जिला मुख्यालय से एक भी बस नहीं मिल रही है।
बस संचालकों की माने तो बसों का खर्च मुश्किल से निकल रहा है। इस कारण बस संचालक प्रत्येक रूट में यात्रियों की संख्या के हिसाब से बसें चला रहे है। सामान्य दिनों में मंडला से जबलपुर, डिंडोरी के लिए हर आधा घंटे में बसें चल रही थी। इसके अलावा रायपुर, बालाघाट, सिवनी के लिए भी पर्याप्त बसें मिल जाती थी। लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद करीब 5 माह से अधिक समय तक बसों का संचालन नहीं हुआ। अब संचालत शुरू हुआ है तो एक माह बाद भी बसों को यात्री नहीं मिल रहे है।
एक नजर में बसों का संचालन
* 22 मार्च से लॉकडाउन होने से बसें बंद
* 4 सितंबर को मुख्यमंत्री ने साढ़े पांच महीने का टैक्स माफ
* 5 सितंबर को बसों का संचालन शुरू
* जिले से लगभग 165 बसें संचालित होती हैं।
* दूसरे जिले से लगभग 100 बसें आती हैं।
इनमें 50-60 बसें ही चल रही।
* 20 फीसदी से ज्यादा यात्री नहीं मिल रहे।