scriptPolice Help Centers need help | पुलिस सहायता केन्द्रों को मदद की दरकार | Patrika News

पुलिस सहायता केन्द्रों को मदद की दरकार

locationमंडलाPublished: Dec 02, 2022 12:56:01 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

रखरखाव के अभाव में हुए बदहाल, पुलिसकर्मी भी नहीं रहते हैं तैनात

पुलिस सहायता केन्द्रों को मदद की दरकार
पुलिस सहायता केन्द्रों को मदद की दरकार

मंडला. जिले की आबादी लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ बढ़ रही हैं अपराधिक वारदातें सामान्य मारपीट, गालीगलौच से लेकर चोरी, लूट, हत्या तक की वारदातों की खबरे आए दिन सामने आ रही हैं। ऐसे में तत्काल पुलिस की मदद की जरूरत होती है। कई मामले ऐसे भी होते हैं जब तत्काल पुलिस की मदद से मिल जाने से बड़ी वारदात को टाला जा सकता है। इसी सोच को लेकर आज से कुछ साल पहले शहर के कुछ स्थानों में पुलिस सहायता केन्द्र खोले गए थे, लेकिन वर्तमान में इन सहायता केन्द्रों को खुद सहायता की जरूरत है। सहायता केन्द्रों को जरूरत है रखरखाव की, इन्हें जरूरत हैं कि इन केन्द्रों में पुलिस कर्मी तैनात किए जाएं। बढ़ती आबादी के साथ इस तरह के पुलिस सहायता केन्द्रों को और अधिक प्रभावी बनाने की जगह सहायता केन्द्रों को बदहाली में छोड़ दिया गया है। शहर के बीच बस स्टैंड के पास भी आज से कुछ साल पहले यातायात पुलिस चौकी हुआ करती थी जहां हमेशा पुलिस की मौजूदगी बनी रहती थी। बस स्टैंड में 24 घंटे भीड़ जमा रहती है। चारों दिशाओं से आने वाली बसों से आसपास के जिलों से लेकर महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ से भी बसों से रोजाना यात्रियों का आना-जाना होता है। यातायात का दवाब यहां हमेशा बना रहता है इसी के चलते यहां सुरक्षा के लिहाज से पुलिस चौकी खोली गई थी। जब पुराने बस स्टैंड को तोड़कर नए परिसर का निर्माण शुरू किया जा रहा था तो बताया गया था कि बस स्टैंड बनने के बाद पुलिस चौैकी भी बनाई जाएगी। बस स्टैंड की बिल्डिंग तो बनकर तैयार हुए सालों बीत गए लेकिन पुलिस चौकी यहां नहीं होने से दूरदराज से आने वाले लोगों को यदि अचानक पुलिस की मदद की जरूरत होती है तो उन्हें काफी समय पुलिस के आने की प्रतीक्षा करना पड़ता है। कुछ ही दिनों पहले अपने गंतत्व की ओर रवाना होने के लिए बस में बैठी युवती से उसका मोबाईल लेकर एक युवक फरार हो गया था, जिसका कोई पता नहीं चल सका। स्थानीय कई बस ट्रेवल्स से जुड़े लोगों का कहना है कि आए दिन यहां अपराधिक वारदातें होती रहती है। विशेष रूप से रात में बस स्टैंड में असामाजिक तत्वों का डेरा लग जाता है, सरकारी बस स्टैंड परिसर में लगाई जा रही मांसाहार की दुकानों में शराब पीकर लोग भोजन करने जमा रहते है। इनमें यात्रियों की जगह आसामाजिक तत्वों की संख्या अधिक होती है। बस ट्रेवल्स से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि बस स्टैंड परिसर में पुलिस चौकी का होना बेहद जरूरी है।

Copyright © 2021 Patrika Group. All Rights Reserved.