मंडलाPublished: Mar 08, 2021 01:41:42 pm
Mangal Singh Thakur
लागत से कम कीमत पर सब्जी बेचने को विवश किसान
Prices of vegetables reduced by increasing inward
मंडला. मौसम के अनुकूल होते ही सब्जियों की आवक बाजार में तेजी से बढ़ गई है। इसका नतीजा यह हुआ कि सब्जियों के दाम में अब तेजी से कमी आ रही है। लगातार बढ़ते प्रतिस्पर्धा के चलते और अपनी सब्जियां खपाने के लिए किसान औने-पौने दाम पर सब्जियों को बेचने को विवश हो रहे हैं। सब्जियों के दाम गिरने से खरीददारों को तो फायदा पहुंच रहा है लेकिन सब्जी व्यापारी और किसानों को मिलने वाला लाभ कम से कमतर होता जा रहा है। सब्जियों के दाम घटने का एक और कारण बढ़ता कोरोना संक्रमण है। एक राज्य से दूसरे राज्य को होने वाले आवागमन पर सख्ती बढ़ती जा रही है। यह एक अन्य कारण है सब्जियों की कीमत गिरने का। सब्जी व्यापारी दिनेश कछवाहा का कहना है कि यदि खेतों और फार्म हाउस में रखी सब्जियां यदि समय पर बाजार न पहुंचाई जाएं तो अगले दिन उसकी लागत भी नहीं निकलती। कोरोना संक्रमण में कहीं फिर से आवागमन प्रतिबंधित नहीं कर दिया जाए, इस आशंका के चलते फार्म हाउस संचालकों ने अधिक से अधिक सब्जियों को बाजार में भेजना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि आवक बढऩे से सब्जियों के दाम गिर गए हैं।
सुबह पांच बजे से भर रहा बाजार
थोक सब्जी व्यापारी आशीष कछवाहा ने बताया कि सुबह पांच बजे से सब्जी का व्यापार शुरू हो रहा है। मंडला मंडी में जबलपुर की बड़ी बड़ी मंडियों, महाराष्ट्र के नागपुर आदि सब्जियां बुलवाई जाती हैं। इसके अलावा जिले के फार्म हाउस की शिमला मिर्च, भटे, मूली, खीरा आदि बड़ी बड़ी मंडियों में भेजे जाते हैं। मौसम अनुकूल होने से कछारों में भी सब्जियों का उत्पादन बढ़ गया है। यही कारण है कि प्रत्येक किसान चाहे वह कछार में कम स्तर पर उत्पादन कर रहा हो फार्म हाउस में बड़े पैमाने पर। सभी की सब्जियां सुबह पांच बजे से बाजार में उतरना शुरू हो जाती हैं।
कम हो रहा व्यापार
कोरोना के बढ़ते संक्रमण से सब्जी बाजार भी अछूता नहीं रह गया है। सब्जी व्यापारी रामशंकर कछवाहा ने बताया कि के्रडिट पर सब्जी का व्यापार करना अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। आज से कुछ वर्षों पहले पूरा सब्जी बाजार के्रडिट पर चलता था लेकिन कोरोना संकट में सब कुछ बदल गया है। अब तो नकद लेन देन पर ही ज्यादातर व्यापार किया जा रहा है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा में किसी तरह लागत निकल जाए इस सोच पर थोक और फुटकर व्यापार किया जा रहा है।