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वैज्ञानिकों ने अंगीकृत गांवों में किया भ्रमण

locationमंडलाPublished: Oct 09, 2019 05:43:32 pm

Submitted by:

Sawan Singh Thakur

तिलहन प्रक्षेत्र का संकुल प्रदर्शन

वैज्ञानिकों ने अंगीकृत गांवों में किया भ्रमण

वैज्ञानिकों ने अंगीकृत गांवों में किया भ्रमण

मंडला। राष्ट्रीय खाद सुरक्षा मिशन के अंतर्गत अंगीकृत गांव में खुक्सर, डुंगरिया एवं मूढ़ाडीह मे दलहन एवं तिहलन संकुल प्रदर्शन के लिए रामतिल एवं अरहर का बीज इच्छुक एवं चयनित किसानों को वितरण किया गया था एवं कृषक प्रशिक्षण मे रामतिल एवं अरहर को तकनीकी रूप से लगाने के लिए विस्तार से बताया था। प्राप्त तकनीकी के आधार पर किसानो द्वारा अपने खेत में पंक्ति में रामतिल एवं अरहर की बुवाई की गई। कृषि विज्ञान केंद्र से डॉ विशाल मेश्राम वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख के मार्गदर्शन में केंद्र के वैज्ञानिकों डॉ आरपी.अहिरवार एवं डॉ प्रणय भारती द्वारा गांव के किसानों के साथ प्रक्षेत्र का भ्रमण किया। इस दौरान किसानों ने आ रही समस्या से अवगत कराया एवं समाधान प्राप्त किया। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ आरपी अहिरवार ने बताया कि अच्छे जल निकास व उच्च उर्वरता वाली हल्की दोमट अथवा मध्यम भारी दोमट, प्रचुर स्फुर वाली भूमि सर्वोत्तम रहती है। खेत में पानी का ठहराव फसल को भारी हानि पहुँचाता है। अरहर की दीर्घकालीन प्रजातियॉं मृदा में 200 किग्रा तक वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थरीकरण कर मृदा उर्वरकता एवं उत्पादकता में वृद्धि करती है। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ प्रणय भारती ने बताया कि इसका उपयोग अन्य दलहनी फसलों की तुलना में दाल के रूप में सर्वाधिक किया जाता है।
फायदेमंद हैं फलियां
दलहनी फसलों की हरी फलियां सब्जी के लिये, खली चूरी पशुओं के लिए रातव, हरी पत्ती चारा और तना ईंधन, झोपड़ी और टोकरी बनाने के काम लाया जाता है। इसके पौधों पर लाख के कीट का पालन करके लाख भी बनाई जाती है। डॉ मेश्राम ने कहा कि रामतिल या ’काला तिल’ एक तिलहनी फसल है जगनी के नाम से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में पहचानी जाने वाली फसल रामतिल है। रामतिल की फसल विषम परिस्थितियों में भी उगाई जा सकती है। फसल को अनुपजाऊ एवं कम उर्वराशक्ति वाली भूमि में भी लिया जा सकता है। इसका तेल एवं बीज पूर्णत: विषैले तत्वों से मुक्त रहता है तथा यह कीडों बीमारियों जंगली जानवरों तथा पक्षियों से होने वाली क्षति से कम प्रभावित होती है। फसल भूमि का कटाव रोकती है। रामतिल की फसल के बाद उगाई जाने वाली फसल की उपज अच्छी आती है। रामतिल पर आनेवाले प्रमुख कीट रामतिल की सूंडी, सतही टिडडी माहों, बिहार रोमिल सूंडी सेमीलूपर आदि हैं। रामतिल की इल्ली हरे रंग की होती है जिस पर जामुनी रंग की धारियॉ रहती है। पत्तियों को खाकर पौधे की प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे से रस चूसते हैं जिससे उपज में कमी आती है सतही टिड्डी के शिशु एवं वयस्क फसल की प्रारंभिक अवस्थाओं में पत्तियों को काटकर हानि पहुंचाते हैं। माहों कीट के नियंत्रण के लिये सावधानी रखकर कीटनाशक दवा का चयन करना चाहिये। क्योंकि इसका आक्रमण पौधे पर फूल आने पर होता है। चूंकि रामतिल में परागीकरण होता है अत: ऐसी दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिये जिससे मधुमक्खियों को नुकसान हो।

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