जीणोद्धार के बाद बढ़ी रौनक
वक्त के साथ जीर्ण शीर्ण हाल में पहुंच चुके मंदिर के मरम्मत के लिए लंबे समय से मांग की जा रही है। जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जबलपुर की पहल के बाद मंदिर के आसपास समतलीकरण कर बॉऊंड्रीवॉल बनाया गया है। इसके साथ ही मंदिर की मरम्मत भी की जा रही। इसके लिए एक वर्ष पूर्व निर्माण सामग्री कार्यस्थल तक पहुंचा दी गई है। मंदिर की देखरेख का जिम्मा भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दिया गया है। यहां दैनिक श्रमिक अशोक कुमार प्रतिदिन मंदिर पहुंचकर साफ सफाई व अन्य कार्य करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि गौड़ राजाओं के समय में मंदिर के दूसरी मंजिल का उपयोग सुरक्षा की दृष्टि से भी किया जाता रहा होगा। रामनगर से किला तक सूचना पहुंचाने के लिए मंदिर का उपयोग एक पड़ाव के रूप में किया जाता रहा होगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यटन की दृष्टि से मंदिर का जीर्णोद्वार कर समीप ही पार्क का निर्माण किया जाना चाहिए।