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मंडला

निराश्रितों की मदद कर भविष्य संवारने में जुटे समाजसेवी, अपनाकर बना दी तकदीर

बैंक में मिली नौकरी

मंडलाDec 14, 2022 / 07:34 pm

Mangal Singh Thakur

निराश्रितों की मदद कर भविष्य संवारने में जुटे समाजसेवी, अपनाकर बना दी तकदीर

निराश्रितों की मदद कर भविष्य संवारने में जुटे समाजसेवी, अपनाकर बना दी तकदीर

मंडला. आसमान छूती महंगाई में जहां लोग अपने परिवार का गुजारा भी बेहद मुश्किल से कर पा रहे हैं वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे समाजसेवी भी हैं जो जरूरतमंद बच्चों का भविष्य गढ़ने के लिए उन्हें सहारा दिए हुए हैं। रामप्रकाश सिंह ठाकुर ने बताया कि आज से लगभग दो दशकों पहले नर्मदा तटवासी उनके पिता स्वर्गीय हीरा सिंह ठाकुर ने बेसहारा और जरूरतमंद बच्चों को मदद कर उनका भविष्य संवारने का बीड़ा उठाया था? उस समय वे विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री हुआ करते थे और पूरे जिले में जगह-जगह प्रवास किया करते थे। प्रवास के दौरान ही उन्हें कान्हा किसली क्षेत्र में दो बेसहारा बच्चे दिखाई पड़े जिनके कोई पालक ना होने के कारण वे यहां वहां भटकते रहते थे। विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी हीरा सिंह ने इन दोनों भाइयों के लालन-पालन का बीड़ा उठाया और उन्हें घर लेकर आए। बस, यहीं से शुरू हुआ बेसहारा बच्चों को सहारा देने का सिलसिला। समय के साथ आगे बढ़ते हुए उनके पिता ने शासन के नियमानुसार एक समिति का गठन कर उसका संचालन करना शुरू किया। जिसका दायित्व इन बेसहारा बच्चों का पालन पोषण करना था। वर्षों बाद शासन के नियमों में बदलाव होने के कारण हालांकि समिति को बंद करना पड़ा लेकिन तब तक दर्जनों बच्चे इस समिति के माध्यम से पढ़ लिखकर अपने अपने पैरों पर खड़े हो चुके थे। रामप्रकाश का कहना है भले ही समिति बंद कर दी गई है लेकिन पालकों के सहमति और उनकी जिद के कारण कुछ बच्चे आज भी राम प्रकाश के घर पर रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं ताकि पढ़ाई पूरी करने के बाद वे यहां से अपना भविष्य संवार कर निकल सके।

दिव्यांग की कराई शादी

रामप्रकाश ने बताया कि इनकी समिति की मदद से रहते हुए बच्चों में से एक दिव्यांग बच्चा था। कुछ वर्ष पूर्व ही वयस्क होने पर इनके परिवार ने उसकी शादी अन्य दिव्यांग युवती से कराई। आज दोनों सुखी दांपत्य जीवन यापन कर रहे हैं। रामप्रकाश बताते हैं कि आज भी उनका पूरा परिवार उस युवक को बहुत याद करता है।

छोटे रपटा में करते हैं भजन कीर्तन

रामप्रकाश का कहना है कि मां नर्मदा के छोटे रपटा पुल स्थित मंदिर में भजन कीर्तन करने का दायित्व समिति के बच्चों की टोली पर था। सभी वयस्क बच्चे जब अपने पैरों पर खड़े होकर अपने अपने क्षेत्र में आगे बढ़ गए और समिति बंद कर दी गई लेकिन रामप्रकाश के साथ रह रहे बच्चों की टोली आज भी छोटे रपटा पुल के मंदिर में भजन कीर्तन करने वाले अन्य बच्चों के साथ संगीत मंडली में शामिल है।

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