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कहीं डॉक्टर के बिना प्रिस्क्रिप्शन तो कहीं फार्मासिस्ट के कर्मचारी बेच रहे दवाइयां

locationमंडलाPublished: May 20, 2022 12:07:42 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

जिले में ड्रग इंस्पेक्टर न होने से दवा दुकानदार कर रहे मनमानी

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मंडला. जिले में करीब तीन सौ से अधिक छोटी-बड़ी दवा दुकानों का संचालन हो रहा है लेकिन इन दुकानों की जांच के लिए जिले में पिछले तीन सालों से कोई ड्रग इंस्पेक्टर ही नहीं है, जबलपुर के ड्रक इंस्पेक्टर को जिले का प्रभार दिया गया है।
गौरतलब है कि दवा दुकानों का संचालन नियमानुसार हो रहा है या नहीं, दुकान चलाने के लिए लाइसेंस है या नहीं, रैन्यूअल हुआ या नहीं आदि की जांच की जिम्मेदारी ड्रग इंस्पेक्टर पर होती है, ड्रग नियमित इंस्पेक्टर का पद खाली होने से इन सभी की जांच नहीं हो पा रही है और दवा दुकानों का संचालन मनमानी पूर्वक किया जा रहा है।
नियमों को ताक में रखकर संचालित हो रही दवा दुकान

दवा दुकान के संचालन में कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। दुकान में साफ-सफाई होना चाहिए, सभी दवाएं कांच के सेल में रखी जानी चाहिए, दुकान संचालक फार्मासिस्ट का डिग्रीधारी हो, एक्सपायरी डेट की दवाओं को रखने के लिए अलग से बॉक्स हो, टीबी की दवाएं जहां रखी हों उस शोकेस में टीबी की दवा लिखा हो, फ्रिज होना चाहिए। लेकिन इन नियमों के परे जिला मुख्यालय में ही कई दवा दुकानें पूरी तरह फार्मासिस्ट की गैर मौजूदगी में कर्मचारी द्वारा ही संचालित की जाती है।
बढ़ी प्रतिरोधक क्षमता, दवाओं का उठाव कम

कई दवा दुकानदारों का कहना है कि जब से कोरोना की वैक्सीन लगना शुरू हुई है, तब से दवाओं का उठाव कम हो गया है। सीएमएचओ डॉ श्रीनाथ सिंह ने बताया कि वैक्सीनेशन से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है, जो लोग अक्सर बीमार पड़ते थे वे बीमार कम पड़ रहे हैं। जबकि दूसरे देशों में आज भी लोग कोरोना से लड़ रहे हैं। डॉ सिंह ने बताया कि जहां लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है वहीं सुगर, किडनी, कोलेस्ट्रोल, बीपी, हार्ट जैसी बीमारियों की दवाओं की ही ज्यादा बाजार में मांग है।

किसी का लाइसेंस तो कोई चला रहा दुकान

जिले में करीब 300 से अधिक दवा दुकानें संचालित हैं। दवा दुकान के लिए बकायदा लाईसेंस जारी किया जाता है जिसके लिए कुछ जरूरी नियम होते हैं जैसे दवा दुकान का संचालन करने के लिए फार्मासिस्ट होना बेहद जरूरी होती है, तभी वह दवाओं का विक्रय कर सकता है, लेकिन ऐसी अनेक दुकानों में देखने में आता है कि वहां दवाएं फार्मासिस्ट की जगह उनका कर्मचारी बेच रहा होता है। यही नहीं कई दुकानें ऐसी भी संचालित की जा रही हैं, जिनके संचालन के लिए लाईसेंस किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर दिया गया है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में दवा दुकानों का संचालन के लिए लिए गए लाईसेंस पर कई दवा विक्रेता शहरी क्षेत्रों में दवा दुकानें चला रहे हैं। कुछ दवा दुकानदारों का भी कहना है कि उन्हें कभी विभिन्न कंपनियों की दवाओं से संबंधित कुछ शिकायतें होती है लेकिन उनके समाधान के लिए ड्रग इंस्पेक्टर नहीं होने से समस्या समाधान नहीं हो पाता है।
जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर को मंडला का प्रभार
जानकारी अनुसार मंडला जिले में एक ड्रग इंस्पेक्टर का पद है, जो पिछले करीब 3 सालों से खाली है। जिले में यह पद खाली होने से जबलपुर के ड्रग इंस्पेक्टर शरद जैन को मंडला का प्रभार दिया गया है। पड़ोसी जिले में डिंडोरी में भी ड्रग इंस्पेक्टर का पद खाली है बालाघाट ड्रग इंस्पेक्टर को डिंडोरी का प्रभार दिया गया है।
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