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बंद हो गया गरीबों की थाली का राशन, भरी दोपहरी में भूखे पेट लौटने लगे श्रमिक

locationमंडलाPublished: Jun 23, 2019 11:10:48 am

Submitted by:

amaresh singh

रसोई के संचालन पर संकट मंडराने लगा है

Stopped Ration of poor

बंद हो गया गरीबों की थाली का राशन, भरी दोपहरी में भूखे पेट लौटने लगे श्रमिक

मंडला। नगर के सैकड़ों गरीब जिस रसोई से पांच रुपए में भरपेट भोजन करते थे। उस रसोई को आवंटित किए जाने वाले खाद्यान्न की आपूर्ति रोक दी गई है। जिससे रसोई के राशन पर संकट उत्पन्न हो गया है और भरी दोपहरी में भरपेट भोजन की आस लिए रसोई में आने वाले श्रमिकों को निराश वापस लौटना पड़ रहा है। दीनदयाल अंत्योदय रसोई के नाम से जिला मुख्यालय में पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा शासकीय रसोई का संचालन शुरु किया गया था।

निर्धन वर्ग के लोग करते थे भोजन
इस रसोई में निर्धन वर्ग के लोगों को 5 रुपए में भरपेट खाना परोसा जाता था। दाल, चावल, सब्जी, रोटी के अलावा प्याज, अचार मिलने के कारण दोपहर होते ही उक्त रसोई में श्रमिक वर्ग के लोगों की कतार लग जाती थी लेकिन लगभग दो महीने होने को आए, इस रसोई को शासन की ओर से मिलने वाले खाद्यान्न पर रोक लगा दी गई है। इसके चलते रसोई के संचालन पर संकट मंडराने लगा है और पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं बन पाने के कारण भूख से व्याकुल आने वाले श्रमिक भूखे ही वापस लौट रहे हैं। जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी ओपी पांडे ने कहा कि मई माह का खाद्यान्न एडवांस में अप्रैल में ही आवंटित कर दिया गया था। जून माह का आवंटन अभी नहीं आया है।


मिलता था गेहूं-चावल
उक्त रसोई में भोजन पकाने के लिए शासन की ओर से प्रति माह 50-50 किग्रा के 20 बोरी चावल और 15 बोरी गेहूं उपलब्ध कराया जाता था। यानि प्रतिमाह 10 क्विंटल चावल और 7.50 क्विंटल गेहूं आवंटित किया जाता था। इसके अलावा सब्जी, दाल, तेल, नमक, मसाला, प्याज, टमाटर, धनिया, मिर्ची, आलू, ईंधन एवं रसोइयों को भुगतान किए जाने वाले पारिश्रमिक का भुगतान रसोई संचालक को स्वयं वहन करना होता है। इसके एवज में रसोई संचालक द्वारा 5 रुपए का शुल्क लिया जाता है। संचालक का कहना है कि 28 अप्रैल के बाद रसोई में खाद्यान्न का आवंटन रोक दिया गया है। इससे रसोई का पूरा बजट गड़बड़ा गया है और बनाए जाने वाले भोजन की मात्रा भी कम हो गई है। यही कारण है कि कुछ लोग बिना भोजन वापस लौट रहे हैं।


नहीं करते लिहाज
रसोई संचालिका का कहना है कि यह रसोई श्रमिक वर्ग को भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के लिए शासन द्वारा खोली गई है, लेकिन यहां तो कॉलेज के छात्र-छात्राएं भी आकर भोजन करते हैं। बाइक से आते हैं, स्मार्ट फोन पर बातें करते करते भोजन करते हैं, मना करो तो विवाद करते हैं। रविवार को कई बड़े व्यापारी यहां आकर भोजन करते हैं। जेब में नोटों की गड्डियां दिखाई पड़ती हैं लेकिन गरीबों के हक का भोजन करके चले जाते हैं, मना करो तो बड़े अधिकारियों को शिकायत की धमकी देते हंै।


पहले 5 अब 10 रुपए
रसोई संचालिका पुष्पा ज्योतिषी ने बताया कि जब तक शासन की ओर से खाद्यान्न मिल रहा था तब तक 5 रुपए प्रति थाली शुल्क लिया जा रहा था। पिछले दो महीने से नगरपालिका और जिला खाद्य आपूर्ति विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। यह जवाब दिया जा रहा है कि भोपाल स्तर पर खाद्यान्न का आवंटन रोक दिया गया है। निर्धन वर्ग बड़ी आस लेकर आते हैं इसलिए हाल ही में 10 रुपए प्रति थाली की दर से उन्हें भोजन कराया जा रहा है। 10 रुपए थाली में भी दाल, चावल, सब्जी, रोटी परोसी जा रही है। प्रति दिन औसतन 140 लोगों को भोजन कराया जा रहा है। रविवार के साप्ताहिक बाजार के दिन यह संख्या बढ़कर 200 तक पहुंच जाती है।

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