मंडलाPublished: Apr 25, 2019 07:49:54 pm
Sawan Singh Thakur
एक्सपायर हो चुके हैं अग्निशामन यंत्र
अस्पताल की सुरक्षा संदेह के घेरे में
सावन सिंह
मंडला। भीषण गर्मी का समय चल रहा है, आसमान से आग बरस रही है और धरती तवे की तरह गर्म हो रही है। ऐसे में जरा सी लापरवाही किसी भी अग्निकांड को जन्म दे सकती है। इस भीषण गर्मी में दुर्भाग्यवश शासकीय जिला अस्पताल में अगर किसी दिन आगजनी की घटना हो जाए, तो वहां दाखिल मरीजों और उनके तीमारदारों की जान जोखिम में पड़ सकती है क्योंकि अस्पताल में आग से बचाव के लिए लगाए गए अग्निशमन यंत्र के नाम के ही हैं। जिला अस्पताल में यह लापरवाही मरीजों पर कभी भी भारी पड़ सकती है। अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक से लेकर विभिन्न वार्डो में एक्सपायरी डेट के अग्निशमन यंत्र लगे हुए हैं। करीब पांच दिन पहले एक्सपायर हो चुके अग्निशमन यंत्रों को बदलने की किसी को भी परवाह नहीं है। अस्पताल में करीब १६ अग्निशमन यंत्र लगे हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भीड़भाड़ वाले इस अस्पताल में अगर को आग की घटना होती है तो मरीजों की सुरक्षा का क्या होगा? गौरतलब है कि अस्पताल में रोजाना छह सौ से लेकर आठ सौ के करीब मरीज ओपीडी में जांच के लिए आ रहे हैं। एक्सपायर हो चुके सुरक्षा उपकरणों के अभाव में भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
रीफिलिंग कराने का होश नहीं
आईएसओ प्रमाणित जिला अस्पताल में अग्निशमन यंत्र के सिलेंडर की सप्लाई रेस्क्यू मार्केटिंग एंड फायर सर्विसेज की ओर से की गई है। प्रत्येक सिलेंडर का वजन ५ किग्रा है। इन सिलेंडरों को २२ अप्रैल २०१८ में रीफिल किया गया था। उनकी अगली रीफिलिंग २० अप्रैल २०१९ को की जानी थी। ६ दिन गुजर जाने के बावजूद इन सिलेंडरों की रीफिलिंग कराए जाने का होश अस्पताल प्रबंधन को नहीं है।
जिला अस्पताल के डॉक्टरों के चेंबर के पास, साथ ही ओपीडी के पास और मलेरिया रक्त पट्टी जहां बनाई जाती है उसके पास अग्निशामक यंत्र लगे हुए है। अस्पताल के आखिरी कोने में जहां पहले आर्थो वार्ड के दो कमरे थे। वहां अब भी अग्निशामक यंत्र लगे हैं और वे दोनों भी अन्य की तरह एक्सपायर हो चुके हैं।
वर्जन:
मैने हाल ही में चार्ज लिया है। शीघ्र ही इस व्यवस्था को पुख्ता किया जाएगा।
डॉ विजय धुर्वे, सिविल सर्जन, जिला अस्पतला।