नवंबर महीने का अंत निकट है और इस महीने के तीन और शुभ वैवाहिक मुहूर्त उपलब्ध हैं। दिसंबर के महीने में मात्र ४ ही तिथियों को विवाह के लिए योग्य माना जा रहा है। गणनाओं के अनुसार, नव वर्ष 2018 के पहले महीने जनवरी में एक भी तिथि ऐसी नहीं, जिस दिन विवाह किया जा सके। यही कारण है कि अब उन घरों में तरह तरह के अनुष्ठान और निवारण कार्य शुरु किए जा रहे हैं, जहां विवाह योग्य युवक अथवा युवतियांं उपस्थित हैं। इसके लिए ज्योतिषाचार्यों और विशेषज्ञों की राय ली जा रही है। विवाह योग्य संतानों के माता-पिता हर हाल में इसी वर्ष अपने घरों में या तो नव वधु लाना चाहते हैं अथवा कन्यादान का पुण्य लाभ लेना चाहते हैं। यही कारण है कि ज्योतिषाचार्यों से लगातार संपर्क किया जा रहा है।
पंडित राकेश शास्त्री के अनुसार, हिंदू पौराणिक ग्रंथों में ऐसे अनेक उपाय हैं। जिन्हें विधिपूर्वक अपनाए जाने से विवाह संबंधी दोषों का निवारण हो सकता है। यदि किसी लड़के या लड़की की कुंडली में सूर्य की वजह से विवाह होने में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य को जल चढ़ाएं और ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। कुंडली में मंगल के कारण विवाह में विलंब होने पर चांदी का चौकोर टुकड़ा सदैव अपने पास रखें। विवाह शीघ्र होगा। सूर्य की बाधा होने पर विवाह प्रस्ताव के जाते समय थोड़ा गुड़ खाकर और पानी पीकर जाना चाहिए। साथ ही लड़के या लड़की की माता को गुड़ खाना छोड़ देना चाहिए। तांबे का एक चौकोर टुकड़ा जमीन में दबा दें, इससे सूर्य की बाधा समाप्त हो जाएगी। शीघ्र विवाह होगा। प्रति शनिवार को शिवजी पर काले तिल चढ़ाएं इससे शनि की बाधा समाप्त हो जाएगी और शादी शीघ्र होगी। शनिवार को बहते पानी में नारियल बहाएं, इससे राहू की बाधा दूर होगी। एक तरफ से सिकी हुईं आठ मीठी रोटियां भूरे कुत्ते को खिलाएं।Ó शनिवार को काले कपड़े में साबुत उड़द, लोहा, काला तिल और साबुन बांधकर दान करें। काले घोड़े की नाल का छल्ला सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में पहनें।
विवाह का दिन निर्धारण करते समय लत्तादोष का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। लत्तादोष का निर्धारण नक्षत्र एवं ग्रहों की स्थिति से होता है। जैसा कि लत्ता नाम से स्पष्ट इसका आशय ग्रहों की लात से होता है। सूर्य जिस नक्षत्र पर होता है उससे आगे के बारहवें नक्षत्र पर मंगल तीसरे पर शनि आठवें पर एवं गुरु छठवें नक्षत्र पर लात मारता है। ठीक इसी प्रकार कुछ ग्रह अपने से पिछले नक्षत्र पर लात मारते हैं जैसे बुध सातवें, राहु नौवें, चन्द्र बाईसवें, शुक्र पांचवे नक्षत्र पर लात मारता है।
राहु वक्री होने के कारण इसकी गणना अगले नक्षत्र को मानकर ही की जाती है। लत्तादोष में विवाह के नक्षत्र से गणना कर नक्षत्रों में स्थित ग्रहों का विवेचन कर उनकी लत्ता का निर्धारण किया जाता है। वैसे तो सभी ग्रहों की लत्ता को अशुभ माना जाता है किन्तु कुछ विद्वान केवल पाप व क्रूर ग्रहों की लत्ता को ही त्याज़्य मानते हैं। अत: विवाह का मुहूर्त निकालते समय लत्तादोष का विवेचन अवश्य करना चाहिए।
राहु वक्री होने के कारण इसकी गणना अगले नक्षत्र को मानकर ही की जाती है। लत्तादोष में विवाह के नक्षत्र से गणना कर नक्षत्रों में स्थित ग्रहों का विवेचन कर उनकी लत्ता का निर्धारण किया जाता है। वैसे तो सभी ग्रहों की लत्ता को अशुभ माना जाता है किन्तु कुछ विद्वान केवल पाप व क्रूर ग्रहों की लत्ता को ही त्याज़्य मानते हैं। अत: विवाह का मुहूर्त निकालते समय लत्तादोष का विवेचन अवश्य करना चाहिए।
वैवाहिक शुभ तिथियां
नवंबर – 28, 29, 30,
दिसंबर- 4, 8, 9, 10
नवंबर – 28, 29, 30,
दिसंबर- 4, 8, 9, 10