प्रदेश के शिक्षकों को देना पड़ेगा शपथ पत्र, नहीं हो जाएगा एक्शन
मंडलाPublished: Jun 19, 2019 02:20:34 pm
संकुल प्राचार्यों को निर्देश जारी, 25 तक जमा कराना होगा शपथ पत्र नहीं तो होगी कार्रवाई
मंडला. यदि आपका बच्चा भी किसी सरकारी स्कूल में पड़ता है। तो अब यहां के टीचर आप पर व आपके बच्चों पर ट्यूशन के लिए दबाव नहीं बना पाएंगे। दरअसल ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कई बार ये शिकायतें आती हैं, कि स्कूल के टीचर ट्यूशन के लिए दबाव बना रहे हैं। ऐसे में न चाहते हुए भी अभिभावकों को बच्चों का ट्यूशन स्कूल के ही टीचर से लगाना पड़ता है। इन्हीं सब कारणों से राज्य सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिसके बाद मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब न तो कोचिंग में पढ़ा सकेंगे और न ही ट्यूशन दे सकेंगे। लोक शिक्षण संचालनालय से जारी आदेश के अनुसार शिक्षकों को 25 जून तक इसके लिए हलफनामा देना होगा। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी।
बताया जाता है कि राज्य शासन ने यह निर्णय सीएम हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायतों के आधार पर लिया है, जिसमें कहा गया था कि शिक्षक बच्चों पर कोचिंग के लिए दबाव बनाते हैं। अतिथि शिक्षकों को इस प्रतिबंध से दूर रखा गया है।
हाल ही में दसवीं और बारहवीं के कई जिलों में खराब प्रदर्शन के बाद मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत अब सरकारी स्कूल के शिक्षक बच्चों को ट्यूशन या कोचिंग नहीं दे पाएंगे। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय आयुक्त कार्यालय ने आदेश जारी कर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के ट्यूशन और कोचिंग पढ़ाने पर रोक लगा दी है। हालांकि विभाग का यह कदम कितना कारगार सिद्ध होता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। इस निर्णय का कारण सीएम हेल्पलाइन पर मिल रही लगातार शिकायतों को बताया जाता है। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत प्राप्त हुई है कि शासकीय स्कूलों के शिक्षकों द्वारा शिक्षण कार्य सही ढंग से नहीं किया जाता है, साथ ही विद्यार्थियों को कोचिंग के लिए बाध्य किया जाता है। विभाग द्वारा स्कूल निरीक्षण के दौरान कई शिक्षक शाला से गायब रहकर कोचिंग पढ़ाते हैं।
अतिथि शिक्षक पर लागू नहीं
विभाग द्वारा इस रोक को लेकर आदेश में यह भी कहा गया है कि यह सरकारी स्कूलों के अतिथि शिक्षक पर यह लागू नहीं होगा। सभी संकुल प्राचार्य निर्देश का पालन करवाएं और शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों को आदेश जारी कर 25 जून तक शपथ पत्र सकुल में जमा कराएं। आदेश का पालन नहीं करने पर शिक्षक व संकुल प्राचार्य पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के रिजल्ट में कई जिलों के प्रदर्शन काफी खराब रहे हैं। ऐसे में कार्यरत शिक्षकों से सरकार अब सख्ती बरतने के मूड में है। इससे पहले सरकार ने यह तय किया था कि जिन जिलों के रिजल्ट खराब हुए हैं, वहां के शिक्षकों की अब परीक्षा लेगी। अगर उसमें फेल हुए तो कार्रवाई होगी। जानकारों के अनुसार, प्रदेश सरकार ने पहली बार ऐसा प्रयोग किया है, जब सरकारी स्कूल के शिक्षकों को परीक्षा देनी पड़ी। बीते दिनों ही स्कूल शिक्षा विभाग ने 10वीं व 12वीं की कक्षा की परीक्षा में 30 फीसदी तक रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षकों की परीक्षा ली थी।