मंडला. शिक्षा विभाग की एम शिक्षा मित्र की सफलता संचय बना हुआ है। ऐप में आने वाली विभिन्न समस्याओं को लेकर विगत दिनो राज्य अध्यापक संघ ने ज्ञापन सौंपा था। अब नियमित संवर्ग समग्र शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किए जा रहे मोबाइल गवर्नेंस प्लेटफार्म एम शिक्षामित्र की जिले में सफलता पर सवाल उठाए हैं। संघ के संयोजक हेमंत श्रीवास्तव ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा स्टैक होल्डर्स की गतिविधियों जैसे विद्यार्थियों, पालकों, शाला प्रबंधन समितियों, अधिकारियों, कर्मचारियों कार्यालय प्रमुखों आदि से सबंधित जानकारियों और सूचनाओं आदान प्रदान के लिए ई-प्लेटफार्म तैयार किया है। यह एप शिक्षकों के लिए लाभप्रद है लेकिन इसकी शतप्रतिशत सफलता मंडला जिले में संदेहास्पद है। विभाग द्वारा यह मानते हुए किए इंटरनेटयुक्त स्मार्टफोन अब हर जगह सरलता और सुलभता के साथ उपलब्ध है, इस गलतफहमी के चलते एप्लिकेशन को लांच कर दिया गया है। अब इस बात की आशा की जा रही है किए एजुकेशन पोर्टल पर उपलब्ध सुविधाओं और सेवाओं को विद्यालय सहित जनजन तक पहुंचा दिया जाएगा। यदि यह कार्यक्रम सफल होता है तो, उपयोगकर्ता को सभी सूचनाएं और जानकारियां एक ही प्लेटफार्म पर उपलब्ध होंगी। इसमें विद्यालयों की प्रोफाइल, नामांकन, शिक्षकों की जानकारी, अधोसंरचना, विद्यार्थियों की जानकारी, वित्तीय जानकारियों सहित उच्च कार्यालयों के निर्देश और योजनाओं के साथ मानीटरिंग आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में अवश्य ही इसके संचालन से सुविधा हो सकती है, ट्राइबल जिले में जहां पर अभी भी लोग मोबाइल आपरेटर और आपरेटिंग सिस्टम से अनभिज्ञ हैं, इसकी सफलता संदेहास्पद है। अभी भी यहां बहुते से ऐसे गांव हैं जहां बिजली एक बार जाती है तो महीनों बाद आती है। जिले के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में इंटरनेटयुक्त मोबाइल फोन एक सपने जैसी
चीज ही है। जहां एक फोटोकॉपी करवाने करवाने के लिए लोगों को आज भी काफी पैसा और समय खर्च करना पड़ रहा है, छोटे-छोटे कार्यों के लिए अधिक से अधिक समय देना पड़ रहा है, वहां ये व्यवस्था किस प्रकार सफल होगी ये समझ से परे है। मूलभूत सुविधाओं से वंचित सुदूर ग्रामीण इलाकों में पदस्थ शिक्षक जैसे तैसे सुविधाएं जुटाकर सेवाएं दे रहे हैं। अब शिक्षक समुदाय की उपस्थिति और वेतन को इस एप से जोड़ा जा रहा है, जो कि शिक्षकों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है। जिसकी मुख्य वजहें खराब मोबाइल नेटवर्क और स्मार्टफोन की खराबी ही रहेगी। एप के जरिए ई-अटेंडेंस की जो समय सीमा निर्धारित की गई है, उसका पालन करना शिक्षकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। शिक्षकों का कहना है कि अभी शुरुआती दौर में विद्यालयों में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से मैसेज भेजने या मिस्डकॉल करके उपस्थिति दर्ज करने जैसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। समग्र शिक्षक संघ के घनश्याम ज्योतिषी, सोपतराम कुर्वैती, राजीव वर्मा, योगेश चौरसिया, निरंजन पटेल, आरके पटेल, सैय्यद मुराद अली, एजाज अख्तर, शैलेश जायसवाल, दिनेश उपाध्याय, गणेश ज्योतिषी, बलराम श्रीवास, अखिलेश चंद्रौल, एसआर गौंठरिया आदि न शासन से अपील की है कि एप से उपस्थित दर्ज कराने की योजना से पहले शिक्षकों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।