scriptगरीबों से दूर हो रही भरपेट थाली | The baggage of the poor getting away from the poor | Patrika News

गरीबों से दूर हो रही भरपेट थाली

locationमंडलाPublished: Oct 25, 2017 06:31:17 pm

Submitted by:

Shahdol online

अंत्योदय रसोई में गरीबों के बजाय समृद्धों, छात्र-छात्राओं की कतार

The baggage of the poor getting away from the poor

The baggage of the poor getting away from the poor

मंडला- आज की महंगाई के दौर में जहां पांच रुपए में एक कप स्पेशल चाय भी नहीं आती। उसी पांच रुपए में निर्धन और असहायों को भरपेट भोजन कराने वाली थाली अब उनसे दूर होने लगी है क्योंकि उस थाली पर समाज के सशक्त वर्ग के लोगों ने अपना अधिकार जताना शुरु कर दिया है। जिला मुख्यालय स्थित पड़ाव क्षेत्र में संचालित अंत्योदय रसोई का संचालन बेहद मुश्किलों से हो रहा है क्योंकि न ही जिला प्रशासन की ओर से इस संस्था को कोई आर्थिक मदद मुहैया कराई जा रही है और न ही किसी जनप्रतिनिधि अथवा समाज सेवी संस्थाओं द्वारा आज तक इस संस्था को कोई आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई है।
स्थानीय नगरपालिका द्वारा प्रायोजित अंत्योदय रसोई का संचालन प्रवाहिनी समाज सेवा समिति द्वारा किया जा रहा है। 7 अप्रैल 2017 को जिला प्रशासन की ओर से इस रसोई की शुरुआत इस उद्देश्य से की गई थी कि गरीब, असहाय और मजदूर वर्ग के लोग दिन के एक वक्त का भरपेट भोजन यहां पा सकें। शुरुआत में यहां रिक्शाचालक, मजदूर, असहाय, निर्धन वर्ग के लोग ही आते थे। लेकिन यहां की सुव्यवस्था, सुसज्जित टेबिल-कुर्सियां, स्वच्छता और पांच रुपए में स्वादिष्ट और भरपेट भोजन मिलने के कारण सबसे पहले व्यापारी वर्ग ने यहां आकर भोजन करना शुरु किया। साप्ताहिक बाजार में आने वाले ज्यादातर व्यापारी अब यहीं भोजन करते हैं। इसके बाद सभी शासकीय स्कूल और कॉलेज के अनेक छात्र-छात्राएं भी अब यहीं भोजन करने लगे हैं। यही वजह है कि निर्धन और असहायों को उक्त योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। औसतन 150-200 लोग यहां प्रतिदिन भोजन करते हैं।
प्रवाहिनी की संचालिका पुष्पा का कहना है कि नगरपालिका की ओर से यह भवन, पानी और बिजली की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। इसके अलावा प्रतिमाह संस्था की ओर से 3 हजार 300 रुपए का चेक नगरपालिका में जमा कराया जाता है। इसके एवज में चावल और गेहंू का प्रदाय नगरपालिका से किया जाता है। रसोई में प्रति थाली ५ रुपए का शुल्क लिया जाता है। पारदशर््िाता बनाए रखने के लिए प्रत्येक भोजन करने वाले के हस्ताक्षर रजिस्टर में लिए जाते हैं।
हर दिन का बजट
60 किग्रा. चावल
30 किग्रा. आटा
50 किग्रा. सब्जी
5 किग्रा. दाल
2 लीटर तेल
2 किग्रा. नमक
1 नग एलपीजी सिलेंडर

देते हैं शिकायत की धमकी
रसोई की संचालिका पुष्पा जोशी का कहना है कि जब सवर्ण अथवा आथर््िाक रूप से समर्थ लोग यहां भोजन करने आते हैं तो यदि उन्हें यह कहकर टोक दिया जाए कि यह व्यवस्था निर्धन और असहायों के लिए है तो वे लोग न केवल विवाद करने लगते हैं बल्कि कलेक्टर से शिकायत की धमकी भी देते हैं। इतना ही नहीं, अनेक लोग तो यह भी कहते हैं कि यह लिखकर दिया जाए कि भोजन नहीं दिया जाएगा। संचालिका जोशी
का कहना है कि उत्कृष्ट विद्यालय, अवंतिबाई कन्या विद्यालय, यहां तक कि शासकीय महाविद्यालय के अनेक छात्र-छात्राएं यहां आकर भोजन करने लगे हैं। मना करने पर तरह तरह की बातें करते हैं। जोशी का
कहना है कि लोगों को खुद समझना चाहिए कि यह व्यवस्था समाज के उपेक्षित वर्र्ग के लिए शुरु की गई है।
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