बताया गया कि ग्राम बोरिया दो हिस्सों में अलग-अलग बसा है। जिसमें आधी आबादी इस नाले के काफी नजदीक है जो नारायणगंज मुख्यालय के पास ही है। दूसरे हिस्से में जाने के लिए दूरी के साथ रास्ता भी जर्जर और पगडंडी वाला है। जिससे यहां से भी गुजरने में परेशानी का सामना ग्रामीणों को करना पड़ता है। मार्ग ना होने के कारण लोगों को यहां से बहने वाले नाले को पार करना पड़ता है। ग्रामीणों की मांग के बाद भी यहां पुलिया का निर्माण नही कराया जा रहा है। गांव में यदि कोई गंभीर बीमार हो जाए तो उसे उपचार के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। इस दौरान कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। आने जाने का साधन न होने के कारण समय में मरीज को अस्पताल तक नही पहुंचा पाते है।
बच्चों की मुसीबत:
ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम बोरिया में विद्यालय नहीं होने के कारण बच्चों को दूसरे गांव अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए जाना पड़ता है। बच्चों को स्कूल जाने के लिए इसी नाले को पार करना होता है। जिससे हादसे का अंदेशा बना रहता है। यहां मूलभूत सुविधाएं स्वास्थ्य, शिक्षा समेत रोजगार के लिए लोगों को तरसना पड़ रहा है। चुनावी दौर में नेता यहां आश्वासन का झुंझुना पकड़ा देते है। चुनाव जीतने के बाद ना तो नेता का पता चलता है और ना ही उनके आश्वासन का।