मंडलाPublished: Jul 23, 2021 01:23:39 pm
Mangal Singh Thakur
दूसरे चरण में जिले के 200 से अधिक बच्चे आए थे कोरोना की चपेट में
The effort to save children from the third wave of Corona is incomplet
मंडला. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना की संभावित तीसरी लहर सितंबर-अक्टूबर माह में शुरू हो सकती है। आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाना होगा क्योंकि इस लहर में बच्चों के संक्रमित होने की आशंका प्रबल है। यही कारण है कि जिले का स्वास्थ्य विभाग कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के प्रयास में लग गया है और इसके लिए आवश्यक तैयारियां भी की जा रही हैं। लेकिन यदि जिले में शिशु रोग विशेषज्ञों, चिकित्सकों और आवश्यक उपकरणों का अभाव है। ऐसे में यदि समय रहते उक्त कमियों को दूर नहीं किया गया तो शेष सारे प्रयास धरे के धरे रह जाएंगे। गौरतलब है कि कोरोना के दूसरे लहर में मार्च2021 से जून 2021 के दौरान जिले भर में लगभग 150 बच्चे और किशोर कोविड 19 की चपेट में आए। हालांकि उन्हें उपचार के दौरान पूर्ण स्वस्थ करने में सफलता मिली लेकिन इस दौरान बच्चों, उनके परिजनों और स्वास्थ्य विभाग को भी मूलभूत आवश्यकताओं के कारण परेशान होते देखा गया।
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी
तैयारी 01
बच्चों के लिए कोविड वार्ड
कोरोना संक्रमण की आगामी संभावनाओं को देखते हुए बच्चों के लिए अलग कोविड आईसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश दिए गए हैं। तन्खा मेमोरियल स्कूल और जीएनएम ट्रेनिंग सेंटर में बच्चों के लिए कोविड आईसोलेशन वार्ड बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। तन्खा मेमोरियल स्कूल में 40 बिस्तरीय कोविड आइसोलेशन वार्ड बनाया जा रहा है।
तैयारी 02
पीकू वार्ड बनेगा 60 बिस्तरीय
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, पीकू वार्ड में पहले सिर्फ 4 बेड की व्यवस्था थी। अब इस पूरे वार्ड को 60 बिस्तरीय बनाने की योजना है जिस पर काम शुरू हो चुका है। कोरोना की तीसरी लहर से पहले इस वार्ड को तैयार किए जाने की बात कही जा रही है ताकि कोविड की चपेट में आने वाले बच्चों को यहां विशेष उपचार मिल सके।
इनके बिना तैयारी अधूरी
कमी 01
* नही हैं उच्च तकनीक सोनोग्राफी
कोविड 19 के संक्रमण की प्रतिशतता जानने के लिए सोनोग्राफी मशीन का होना आवश्यक है। इसके जरिए मरीज में कोविड के संक्रमण की भयावहता का पता चलता है। जिला अस्पताल में उच्च तकनीक सोनोग्र्राफी मशीन नहीं होने के कारण कोविड केयर बच्चा अस्पताल की कोई उपयोगिता नहीं रह जाएगी।
कमी 02
* नहीं हैं वेंटीलेटर तकनीशियन
जिला अस्पताल को कोरोना संकट 2020 में पीएम केयर फंड से 5 वेंटीलेटर उपलब्ध कराए गए थे लेकिन अब तक ये धूल खा रहे हंै क्योंकि इन्हें उपयोग में लाने के लिए जिन तकनीशियनों की आवश्यकता पड़ती है वे जिले में हैं ही नहीं। ऐसे में यदि किसी बच्चे को कोविड के संक्रमण के चलते वेंटीलेटर पर रखने की आवश्यकता पड़े तो चिकित्सकों के पास कोई विकल्प ही नहीं होगा।
कमी 03
* नहीं हैं पीडियाट्रिक स्पेशलिस्ट
जिला अस्पताल में शिशु रोग चिकित्सक तो उपलब्ध हैं लेकिन शिशु रोग विश्ेाषज्ञ नहीं। उपलब्ध शिशु चिकित्सकों की संख्या भी मात्र दो है। ऐसे मे यदि चिकित्सक ही समय पर उपलब्ध नहीं कराया जा सका तो सारी की सारी कवायदें धरी की धरी रह जाएंगी।