मंडला

इस गांव की पहचान है अजगर, युवा निभा रहे जिम्मेदारी

दूसरे गांव से रेस्क्यू कर युवा अजगर दादर में पहुंचा रहे हैं अजगर

मंडलाDec 01, 2020 / 11:46 am

Mangal Singh Thakur

इस गांव की पहचान है अजगर, युवा निभा रहे जिम्मेदारी

आकाश पटेल
अंजनियां. जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर एक गांव जो की अजगर के लिए पहचाना जाता है। गांव के एक स्थान में सैंकड़ों की संख्या में अजगर है। जिसे देखने के लिए लोग दूर से पहुंचते हैं। गांव की पहचान को संरक्षित रखने के लिए यहां के युवा अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। जानकारी के अनुसार अंजनियां से बम्हनी मार्ग के माध्य में पडऩे वाले ग्राम ककैया में अजगर दादर स्थान है। जिसका नाम बड़ी संख्या में अजगर मिलने के कारण इसका नाम पड़ा है। बताया गया कि गांव के लोग अजगर दादर को पूजनीय स्थल मानते हैं। जिसके कारण अजगर को नुकसान भी नहीं पहुंचाते। यहां के अजगर इतने फ्रेंडली हैं कि ठंड के समय धूप सेकने बाहर निकल जाते हैं अगर कोई आहट ना मिले तो घंटो धूप सेंकते रहते है जिन्हें दूर से लोग देखते भी हैं।
यहां के युवा दीपेश चौकसे और उनके मित्र ने यहां अजगरों की तदाद बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। सर्प मित्र दीपेश चौकसे ने बताया कि वह पिछले चार सालों से रहवासी क्षेत्र में पहुंचने वाले अजगर व सर्प को निशुल्क पकड़कर जंगल में छोड़ रहे हैं। चौकसे की माने तो इस साल लगभग 80 अजगर को अजगर दादर में सुरक्षित छोड़ा गया है। पिछले सप्ताह नौ अजगर को पहुंचाया है। जिसमें खकरी टोला में निकले मादा अजगर के साथ तीन बच्चे भी शामिल थे।


यह स्थान जिले के अंजनिया वन परिक्षेत्र की ककैया बीट में सैकड़ों अजगरों का समूह रहता है। करीब पांच से सात एकड़ में फैले ज्वालामुखी चट्टानों में हजारों अजगर होने की संभावना है। कान्हा नेशनल पार्क के कारण इस क्षेत्र को स्नैक पार्क के नाम से संरक्षित करने की मांग की जा रही है। वर्तमान में वन विभाग ने फैसिंग कराई है लेकिन वह अजगरों की सुरक्षा के हिसाब से नाकाफी है। वहीं पर्यटकों को सूचित करने के लिए साइन बोर्ड का भी आभाव है। जिसके बाद यहां पहुंचने वाले पर्यटक भटक भी जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बम्हनी व अंजनियां मुख्य मार्ग में सूचना बोर्ड लगाया जाना चाहिए। वहीं ककैया में भी जगह संकेतक लगाकर आजगर दादार तक लोगों के पहुंचने के लिए रास्ता आसान करना चाहिए।


जानकारी अनुसार ककैया गांव में करीब सात एकड़ क्षेत्र में फैले इस स्थान की गहराई 40 फीट है, जो पूरी तरह से खोखली है, यहां जमीन से निकलकर अजगर धूप सेकने आते हैं। यह इलाका अजगरों का अड्डा है। लोगों ने बताया कि कई बार यहां इतने बड़े अजगर भी देखने को मिलते हैं, जिनके बारे में शायद ही किसी ने सोचा होगा। बताया गया कि वर्ष 1926 में इस इलाके में जबरजस्त बाढ़ आई थी, जिसकी वजह से ये इलाका पूरा खोखला हो गया था। बाद में जमीन के नीचे कई जीव-जंतुओं ने अपना बसेरा बना लिया। धीरे-धीरे अजगरों की संख्या यहां बढऩे लगी, जिसके बाद लोगों ने इस जगह को अजगर दादर का नाम दे दिया। यहां चूहे, गिलहरी और खरगोश भी रहते हैं, जिनका शिकार कर अजगर अपना पेट भरते हैं।

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