मंडलाPublished: May 01, 2019 12:15:15 pm
Sawan Singh Thakur
जिला अस्पताल से गैरहाजिर रहते हैं वार्ड बॉय
घायल परिजनों को भी खींचनी पड़ती है स्ट्रेचर
मंडला। यदि आपका कोई परिजन या परिचित गंभीर बीमार है, या किसी दुर्घटना का शिकार हो गया है और आप उसे उपचार के लिए शहर के जिला अस्पताल में लाने चाहते हैं तो स्ट्रेचर खींचने के लिए भी तैयार होकर आएं क्योंकि अस्पताल के ओपीडी से वार्ड तक वार्ड बॉय मिल जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। यदि आप रोगी को लिटाकर स्ट्रेचर खींचने के लिए वार्ड बॉय या ट्राली मेन का इंतजार करेंगे तो उपचार में देरी भी हो सकती है। जिसका खामियाजा रोगी और आप दोनों को भुगतना पड़ सकता है।
कहने को तो सुविधा के लिए अस्पताल में लगभग 15 वार्ड बॉयज वर्तमान में कार्यरत हैं लेकिन जब रोगी को शिफ्ट करने की बात आती है तो ये लोग निर्धारित स्थान पर देखने को नहीं मिलते। यहां तक की प्र्रसूतिका और सर्जिकल जैसे इमरजेंसी वार्ड में भी जरूरत पडऩे पर इन्हें ढूंढ़कर लाना होता है। यहीं वजह है कि अस्पताल में हर रोज मरीजों के परिजन ही स्ट्रेचर खींचते नजर आ रहे हैं। नियमों के तहत वार्ड व आपातकालीन वार्ड के गेट पर तो वार्ड बॉय की मौजूदगी आवश्यक हैए ताकि मरीजों को अंदर लाने में सहूलियत रहे और उपचार में भी देरी नहीं हो सके।
मरीज को संभालें या बॉटल
घुघरी के सलवाह से लाए गए मरीज दादू जंघेला को गंभीर हालत होने के कारण बॉटल लगाई गई थी। उन्हें एक्सरे कक्ष तक एक्सरे के लिए लाना था। मरीज को एक्सरे कक्ष तक लाने के लिए उनके घायल परिजनों के पसीने छूट गए। तीन तीन परिजन मिलकर एक मरीज को बड़ी मुश्किल से ला पाए क्योंकि एक परिजन स्ट्रेचर ढकेल रहा था, दूसरा दादू को लगी बॉटल उठाए हुए था और तीसरा मरीज को संभाल रहा था ताकि वह स्टे्रचर से असंतुलित न हो जाए। एक्सरे कक्ष में आने वाले अन्य मरीजों के परिजनों और प्रसूतिका वार्ड में भर्ती महिलाओं के परिजनों ने बताया कि यह तो रोज का हाल है। वार्ड बॉय मौके पर कभी मिलता ही नहीं। यदि स्ट्रेचर अथवा व्हील चेयर ढकेलना हो तो परिजनों को ही आगे आना पड़ता है।