मंडलाPublished: Oct 07, 2019 05:39:00 pm
Mangal Singh Thakur
अपनी कमजोरी को ताकत बनाना चाहती है द्रोपती
द्रोपती का हौसला देखकर शिक्षक भी दंग
भाईबहिननाला. दिव्यांग द्रोपती अपने बुलंद हौसले और जुनून से दिव्यांगो के लिए प्रेरणा बन गई हैं। गांव की बेटी द्रोपती जिसके दोनों हाथ नहीं है। बाबजूद द्रोपती ने अपना हौसला नहीं खोया। पैर की अंगुलियों की मदद से लिखाई-पढ़ाई कर अफसर बनने के सपने संजोए हुए है। द्रोपती सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बल्कि अपने छोटे-छोटे काम भी पैर से ही करती है। बच्ची को एक नजर देख कर कुछ ख़ास नहीं लगता लेकिन ध्यान से देखने पर पता चलता है कि यह बच्ची असाधारण प्रतिभा का मालिक है। कमजोरी को द्रोपती अपनी ताकत बनाना चाहती है। जिसके लिए लगातार प्रयास भी करती है। जानकारी के अनुसार
मवई ब्लॉक के करौंदा टोला निवासी द्रोपती पिता बीरबल धुर्वे वर्तमान में माध्यमिक शाला भीमडोंगरी की कक्षा छठवीं में अध्ययनरत है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के बाद भी द्रोपती बहुत से सपने संजोए हुए हैं। द्रोपती का कहना है कि वह पढऩे के साथ ही कुछ ऐसा करना चाहती जिससे परिवार की माली हालत ठीक हो जाए। द्रोपती को गीत-संगीत का भी शौक है। पिता बीरबल धुर्वे ने बताया कि द्रोपती का दोनों हाथ विकलांग है एक हाथ तो है ही नहीं साथ ही एक हाथ है जो छोटा है जिससे कोई भी कार्य करने में असमर्थ रहती है। दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बनने दे रही, अपने पैरों से लिखाई करके बेसलाइन टेस्ट की तिमाही परीक्षा दे रही है। माध्यमिक शाला भीमडोंगरी के प्रधान अध्यापक मनोहर सिंह मरावी ने बताया कि बच्ची लगातार पढ़ाई में सफल हो रही है। लगन के साथ पढ़ाई करती है और रोज स्कूल आ रही है। शाला के उच्च श्रेणी शिक्षक पीएल सिरसम, जन शिक्षक मुन्ना लाल मरकाम, चैन सिंह मरकाम, नर्मदा पटेल, राकेश पटेल, प्रदीप पटेल आदि का कहना है कि बच्ची किसी भी बात को बेहतर तरीके से समझती है। बच्ची अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके इसके लिए शिक्षक समय-समय पर सहयोग भी प्रदान करते हैं। लगातार ध्यान दिया जा रहा है ताकि आगे की शिक्षा में किसी प्रकार की समस्या ना हो।