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कान्हा के सरही गेट से दूर हो रहे सैलानी

locationमंडलाPublished: Dec 07, 2019 11:20:45 am

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

सुविधा के अभाव में यहां दम तोड़ रहा पर्यटन

The tourists are getting away from the Sarahi Gate of Kanha

The tourists are getting away from the Sarahi Gate of Kanha

मंडला. विश्व के प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व में से एक कान्हा टाइगर रिजर्व, जहां देश विदेश के सैलानी हजारों की संख्या में प्रतिवर्ष पहुंच रहे हैं। इस टाइगर रिजर्व को चार जोन में बांटा गया है- कान्हा जोन, किसली जोन, मुक्की जोन और सरही जोन। लेकिन केटीआर के सरही जोन को पूरी तरह उपेक्षित किया जा रहा है। इसकारण अब सैलानी यहां आने से बच रहे हैं। सैलानियों के इस जोन से दूरी बनाने के कारण न केवल यहां रोजगार के विकल्प विकसित नहीं हो पा रहे हैं और दूसरी ओर पर्यटन का भी अधूरा है। गौरतलब है कि लगभग 10 वर्ष पूर्व सरही जोन को विकसित किया गया। यह जिले के बिछिया ब्लॉक में स्थित है और जबलपुर-रायपुर हाइवे पर होने के कारण रोजगार के असीमित विकल्प यहां पर उपलब्ध हैं। इसके बावजूद इस क्षेत्र को विकसित करने में केटीआर प्रबंधन को विशेष रुचि नहीं है।
नहीं मिला रोजगार
सरही के बेरोजगार युवाओं का कहना है कि केटीआर प्रबंधन ने उन्हें रोजगार के खूब सपने दिखाए और उन्हें इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया। प्रबंधन की उपेक्षा के चलते युवाओं को न हीं यहां रोजगार मिल रहा है और न ही केटीआर प्रबंधन द्वारा दिए गए प्रशिक्षण का उन्हें कोई व्यावसायिक लाभ मिल रहा है। सरही क्षेत्र के निवासी अनिल सोंटे, भादू मरावी, वचन कुमार, अरविंद नंदा आदि ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें केटीआर प्रबंधन के अधिकारियों द्वारा कहा गया था कि होटलों में कुक, वेटर आदि का काम बड़ी ही आसानी से प्रबंधन के द्वारा ही दिलाया जाएगा लेकिन आज तक इस क्षेत्र के किसी युवा को रोजगार नहीं मिल पाया।
नहीं दे रहे वाहनों को प्रवेश
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरही गेट से आने वाले सैलानियों को वाहन भी उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। गौरतलब है कि सरही रेंज से सुबह की शिफ्ट में 19 वाहन और शाम की शिफ्ट में 17 वाहनों को प्रवेश दिए जाने का नियम है, यानि कुल 36 वाहन दिन भर की शिफ्ट में इस जोन से कान्हा पार्क में प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन सूत्रों के मुताबिक यहां सभी 36 वाहनों को एंट्री नहीं दी जा रही है।
घरौंदा में मनमानी
सरही जोन को विकसित करने के लिए यहां कान्हा प्रबंधन द्वारा घरौंदा होमस्टे के नाम से एक रिसोर्ट का निर्माण किया गया। यह रिसोर्ट आजीविका मिशन के अंतर्गत विकसित किया गया। लेकिन होम स्टे से स्थानीय प्रशिक्षित युवाओं को कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रिसोर्ट संचालन में भी गड़बड़ी की जा रही है। स्थानीय युवा सूरज तेकाम, महेंद्र पटेल, अर्जुन सिंह का कहना है कि उन्होंने कर्ज लेकर टूरिज्म के मापदंडों के अनुरूप होमस्टे होटल वाहन के व्यवसाय में कदम बढ़ाया। लेकिन उन्हें अधिकारियों की उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है।

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