मंडलाPublished: Nov 29, 2019 08:12:56 pm
Mangal Singh Thakur
किसान घटा रहे गन्ने का रकबा
गन्ने के उत्पादन से कम हो रहा किसानों का रुझान
मंडला. जिले का गुड़ आसपास जिलों के साथ दूसरे प्रदेशों में भी अलग पहचान बनाए हुए है। बिना मिलावट और किसानों के प्रयास से गुड़ की गुणवत्ता की काफी अच्छी होती है। लेकिन धीरे-धीरे किसानों को गन्ने के प्रति रूझाम कम होने लगा है। जहां किसान कुछ गन्ने का गुड़ उत्पादन के बाद शेष गन्ना सुगर मिल में बेंच देते थे वहीं किसानों ने अब गन्ने का उत्पादन की कम कर दिया है। जिसका कारण जिले में संचालित सुगर मिलों का बंद हो जाना है। वहीं शासन की और से जिले के गन्ना किसानों के लिए कोई योजना नहीं बनाई जा रही है। पिछले कुछ सालों से गन्ने का उत्पाद घटता जा रहा है। इस बार भी समर्थन मूल्य में गन्ना विक्रय के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। गुड़ के दाम भी खास नहीं होने के कारण अधिकांश किसान जड़ी अर्थात दूसरी साल पर ही अपना गन्ना मिटा रहे हैं। अपने खेतों में गन्ने के स्थान पर गेहूं के बोनी कर रहे हैं। गौरतलब रहे कि गन्ने की बोवनी एक बार करने के बाद तीन साल तक फसल देता है। लेकिन इस बीच खेत खाली होने से किसान उसमें दूसरी फसलें नहीं ले पाता। एक तरह से खेत गन्ने के लिए रिजर्व हो जाता है। उसमें भी यदि किसान को सही रेट न मिले तो किसानों का मायूस होना स्वाभाविक है। दूसरे जिले में गन्ना का समर्थन मूल्य 250 रुपए प्रति क्विंटल है वहीं जिले में 120 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से किसान गन्ना बेंचने को मजबूर हैं।
अधिकांश किसानों का कहना है कि जिस तरह वर्तमान समय में गन्ने के जो भाव चल रहे हैं। उससे लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है, मेहनत तो दूर की बात है। जिसके कारण पिछले वर्ष तक लोग तीन साल तक खेतों में गन्ने की फसल रखते थे। लेकिन इस बार किसान दो ही वर्ष में गन्ने की फसल मिटाकर गेहूं की फसल या अन्य फसलें लगा रहा है। जब पत्रिका ने किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि इस समय गन्ने की फसल में बहुत लागत आ रही है। गन्ने को लगवाने में भी अधिक लागत आ रही है। वहीं पर रखरखाव के चलते भी ज्यादा मेहनत गन्ने में लगती है। यही कारण है कि अधिकांश किसान दो वर्ष के बाद गन्ने को मिटाकर गेहूं की फसल लगा रहे हैं।
इस बार बढ़ा गेहूं का रकबा
जानकारी के अनुसार इस वर्ष गन्ने का रकबा 32 हजार हेक्टेयर है। जिले के लगभग एक हजार किसानों ने ही गन्ने की बोवनी की है। वही गेहूं रकबा बढ़ता जा रहा है इस बार गेहूं का रकबा 45 हजार 500 रखा गया है। कृषि विभाग के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गेहूं की बोनी में इजाफा हुआ है। वहीं दूसरी ओर गन्ना का रकबा घट रहा है। लगातार गन्ने के दाम कम रहने के कारण, किसान गन्ने की जगह गेहूं और चने की फसल पर अधिक जोर दे रहे हैं। मौसम भी इन फसलों के अनुकूल है, जिसके चलते किसानों को भी लगता है कि इस बार गेहूं चना की फसल में गन्ने की तुलना में अधिक मुनाफ ा होगा।