मटेरियल सप्लायरों का भी नहीं हो सका भुगतान
मंडला
Published: March 11, 2022 04:10:05 pm
मंडला। मजदूरों को उनके गांव में ही काम मिल जाए, उन्हें अपना परिवार, घर गांव छोड़कर पलायन न करना पड़े इसके लिए मनरेगा जैसे योजना बनाई गई। यह सिर्फ योजना नहीं बल्कि इसमें प्रत्येक मजदूर को काम देने की गारंटी है। लेकिन सरकार की ये योजना भी मजदूरों को पलायन से नहीं रोक पाई हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम जिसे मूल रूप से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के रूप में जाना जाता है, जिसे 25 अगस्त 2005 को कानून द्वारा अधिनियमित किया गया है। इस योजना के नाम पर जाएं तो इसमें प्रत्येक मजदूर को काम देने की गारंटी है, लेकिन जिले में इसकी वास्तविक स्थिति यह है कि इस योजना के तहत जहां बड़ी संख्या में मजदूरों को काम ही नहीं मिल रहा है वहीं जिन्होंने महिनों पहले काम किया उन्हें उनका हक अर्थात मजदूरी ही नहीं मिल पाई है जिसके चलते ये मजदूर सरकारी अफसरों के कार्यालयों के चक्कर लगाने मजबूर हैं।
न काम की गारंटी न भुगतान की
मनरेगा योजना में काम की गारंटी की बात कही जाती है लेकिन जिस तरह से जिले में मजदूरों का पलायन हो रहा है उसे देखकर यही लगता है कि मजदूरों को इस योजना से काम नहीं मिल पा रहा है। वहीं किसी तरह जिन मजदूरों को काम मिला भी वे भी भुगतान के लिए महिनों से पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं। वर्ष 2021-22 में अकुशल मजदूरों का 89 लाख 28 हजार का भुगतान शेष है। वहीं अद्र्धकुशल मजदूरों का 1 करोड़ 13 लाख 78 हजार का भुगतान शेष बताया जा रहा है। पंचायतों के सरपंच, सचिवों ने बताया कि मनरेगा के तहत पिछले कई महिनों से राशि आवंटन नहीं मिला है, जिन मजदूरों ने इस योजना के तहत मेढ़ बंधान, कुआं निर्माण, तालाब निर्माण आदि कार्य किए हैं वे बार-बार पंचायत में पहुंचकर मजदूरी दिलाने की मांग करते हैं। सरपंच, सचिवों का कहना है कि वे इन मजदूरों को समझाने का प्रयास करते हैं कि शासन स्तर पर राशि सीधे मजदूरों के खाते में आएगी लेकिन जिस तरह से पिछले कई महिनों से मनरेगा के तहत राशि जारी नहीं की गई है ऐसे में इन मजदूरों के विरोध का सामना पंचायत के सरपंच, सचिवों को ही करना पड़ता है यही नहीं कई बार ये मजदूर सरपंच, सचिवों पर ही मजदूरी की राशि के गबन की शिकायत लेकर अधिकारियों के पास पहुंच जाते हैं।
काम के आधा पर नहीं वर्ग के आधार पर होता है भुगतान
मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी उनके काम के अनुसार नहीं बल्कि वर्ग के आधार पर खाते में डाली जाती है। इसका मतलब यह है कि पहले एसटीए फिर एससीए फिर आखिर में ओबीसी और सामान्य वर्ग के मजदूर को मजदूरी मिल पाती है। जबकि यदि कहीं कोई पंचायत में निर्माण कार्य कराया जाता है तो सभी मजदूर समान रूप से काम करते हैं लेकिन जब मजदूरी की बात आती है तो मजदूरों को उनके वर्ग के आधार पर राशि खाते में ट्रांसफर की जाती है अर्थात यदि शासन से आवंटन दिया जाता है तो उस आवंटन की राशि से पहले एसटी वर्ग के मजदूर को मजदूरी दी जाती है इसके बाद एससीए फिर ओबीसी और सबसे बाद में सामान्य वर्ग के मजदूर को उस काम की मजदूरी दी जाती है, जो उसने अन्य सभी वर्ग के मजदूर के साथ मिलकर किया था।
व्यापारी भी कर रहे भुगतान की प्रतीक्षा
मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले सिर्फ मजदूर ही अपनी मजदूरी के लिए परेशान नहीं हैं बल्कि इस योजना के तहत जो पुल, पुलिया आदि निर्माण आदि कराए जाते हैं, उसमें मटेरियल सप्लायरों का भी काफी रूपया फंसा हुआ है। मनरेगा की ही साईट के अनुसार वर्ष 2021-22 में वर्तमान की स्थिति में मटेरियल सप्लाई करने वाले व्यापारियों का करीब 25 करोड़ 61 लाख 61 की राशि का भुगतान लंबित है। इन सभी को होली के पूर्व भुगतान की आशा है ताकि ये भी अच्छी तरह होली मना सके।
होली में लौटने लगे मजदूर
होली को अब जब एक सप्ताह का ही समय बचा है। शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में होली का त्यौहार काफी उमंग के साथ मनाया जाता है। जो मजदूर काम करने के लिए महानगरों की ओर गए थे अब उनका अपने गांव लौटने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। मंडला बस स्टेण्ड में रोजाना ऐसे मजदूरों का समूह जिसमें पुरूष-महिलाएं सभी शामिल होते हैं इनके लौटने का सिलसिला जारी है।
यहां मनरेगा से हो रहा बावली का जीर्णोद्धार
जिला मुख्यालय से लगी ग्राम पंचायत कटरा में मनरेगा योजना से एतिहासिक बावली का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। कटरा पंचायत की सरपंच प्रीति मरावी और सचिव शैलेन्द्र चंद्रौल ने बताया कि मनरेगा योजना से बावली का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। बताया गया कि सालों पहले इस तरह की बावली का निर्माण भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने के लिए किया जाता था लेकिन देखरेख के अभाव में आसपास के लोगों ने इस बावली को कचरा घर बना दिया था, पंचायत द्वारा निर्णय लिया गया कि इसे उसी स्वरूप में वापिस लाया जाए जैसे यह अपने बनने के समय थी करीब एक माह में ही यह बावली अपने मूल रूप में लौटने लगी है अभी से बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
वर्जन
शासन से आवंटन प्राप्त हो रहा है आवंटन के अनुसार राशि मजदूरों के खाते में भेजी जा रही है। मजदूरों के भुगतान की कोई समस्या नहीं है, सिर्फ सामग्री का भुगतान शेष है। सामग्री के आवंटन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
केके पांडे
सीईओ, जनपद पंचायत सीईओ
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