... तो किसान धुएं में उड़ाता जाएगा पाला
ये तरीके अपनाए तो बेअसर होगा पाला

मंडला. जाड़ा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। पिछले पांच दिनों से दूरस्थ अंचलों में पाला पड़ रहा है। पिछले तीन दिनों से जिला मुख्यालय से सटे गांव और आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी कड़ाके की सर्दी और शीतलहर के कारण खेतों पर पाले ने अपना प्रकोप दिखाना शुरु कर दिया है। हालांकि अभी पाले से किसानों को अधिक नुकसान नहीं हुआ है। इसके बावजूद किसानों की फसल को पाले से बचाव के लिए स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों ने नए सिरे से गाइडलाइन जारी की है।
फसलों को पाले से बचाने के लिए उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विभाग द्वारा किसानों को समुचित सलाह दी गई है। उपसंचालक आरबी साहूू ने पाले के पूर्वानुमान, बचाव के उपाय तथा रसायन से पाला नियंत्रण पर किसानों को सलाह देते हुए हर दिन सतर्कता बरतने की अपील की है क्योंकि पाला पड़ जाने पर नुकसान की संभावना अत्याधिक होती है।
पाले का पूर्वानुमान
पाला के पूर्वानुमान के संबंध में उन्होंने बताया कि जिस दिन आकाश पूर्णतया साफ हो, वायु में नमी की अधिकता हो, कड़ाके की सर्दी हो, शाम के समय हवा में तापमान ज्यादा-कम हो एवं भूमि का तापमान शून्य डिग्री सेंटीग्रेड अथवा इससे कम हो जाए, ऐसी स्थिति में हवा में विद्यमान नमी जल वाष्प संघनीकृत होकर ठोस अवस्था में (बर्फ) परिवर्तित हो जाता है। इसके साथ ही पौधों की पत्तियों में विद्यमान जल संघनित होकर बर्फ के कण के रूप में परिवर्तित हो जाते है जिससें पत्तियों की कोशिका भित्ती क्षतिग्रस्त हो जाती है जिससें पौधों की जीवन प्रक्रिया के साथ-साथ उत्पादन भी प्रभावित होता है।
बचाव के उपाय
* पाले की आशंका पर रात में खेत में 6-8 जगह पर धुंआ करना चाहिये, यह धुंआ खेत में पड़े घास-फूस अथवा पत्तियां जलाकर भी किया जा सकता है। यह प्रयोग इस प्रकार किया जाना चाहिये, कि धुंआ सारे खेत में छा जाए तथा खेत के आसपास का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक आ जाए। इस प्रकार धुंआ करने से फसल का पाले से बचाव किया जा सकता है।
* पाले की संभावना होने पर खेत की हल्की सिंचाई कर देना चाहिये। इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है तथा नुकसान की मात्रा कम हो जाती है। सिंचाई बहुत ज्यादा नही करनी चाहिये तथा इतनी ही करनी चाहिये जिससे खेत गीला हो जाए।
* रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है, इसके लिए दो व्यक्ति सुबह-सुबह (जितनी जल्दी हो सके) एक लंबी रस्सी को उसके दोनों सिरों से पकड़ कर खेत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फसल को हिलाते चलते है, इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है तथा फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है।
रसायन भी असरकारक
विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा रसायनों का उपयोग करके भी पाले को नियंत्रित करने के संबंधी प्रयोग किये गये है। जिसमें घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत का घोल, घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत बोरान 0.1 प्रतिशत् घोल, गंधक के 1 ली. तेजाब से 1000 ली. पानी में मिलाकर छिड़कने से लगभग 2 सप्ताह तक फसल पाले के प्रकोप से मुक्त रहती है। रसायनों विशेषकर गंधक के तेजाब का उपयोग अत्यंत सावधानीपूर्वक तथा किसी कृषि विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिये। उपरोक्त में से कोई भी एक घोल बनाकर छिड़काव करके फसल को पाले से बचाया जा सकता है।
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