देश की ग्रामीण बैंकों के संगठन की केंद्रीय इकाइयों का वित्त विभाग और अन्य विभागों से वार्ता असफल होने के कारण यह आंदोलन किया जा रहा है। बताया जाता है कि कई वार्ताएं हुईं, लेकिन असफ ल रहने पर कर्मचारी संगठनो द्वारा तीन दिवसीय हड़ताल को यथावत रखा गया है। ग्रामीण बैंक के अधिकारी-कर्मचारी अन्य बैंकों की तरह बैंकिंग पेंशन समानता लागू करने, ग्रामीण बैंकों के निजीकरण एवं पब्लिक इश्यू के प्रस्ताव वापस लेने, अनुकम्पा नियुक्ति की सुविधा अगस्त 2014 से करने, बैंकिंग उद्योग की तर्ज पर कम्प्यूटर इंक्रीमेंट की सुविधा देने, प्रायोजक बैंकों की तरह सेवा शर्त, वेतन एवं अन्य भत्ते, लाभ, अवकाश, प्रोन्नती, भर्ती नियम, अनुशासनात्मक एवं सेवानिवृत्ति शर्तें समान रूप से लागू करने, प्रायोजक बैंकों के अनुसार ही दैनिक वेतनभोगी और आकास्मिक कर्मचारियों के लिए न्यूनतम भुगतान सीमा एवं अन्य सुविधा एवं लम्बित नियमितीकरण तत्काल लागू की करने की मांग कर रहे हैं।