आज शरद पूर्णिमा की रात आसमान से बरसेगा अमृत
मंडलाPublished: Oct 20, 2021 08:33:21 am
चांद की रोशनी से रोशन होगी पृथ्वी
आज शरद पूर्णिमा की रात आसमान से बरसेगा अमृत
आज शरद पूर्णिमा की रात आसमान से बरसेगा अमृत
मंडला . शरद पूर्णिमा की रात की मान्यता है कि आसमान से धरती पर चांदनी रात में अमृत बरसता है। इसलिए इस झिलमिलाती, अमृत बरसाती तारों भरी रात में आरोग्य की कामना की जाती है और इस दिन खीर के साथ निरोगी काया के लिए औषधियां भी वितरित की जाती है। चंद्रमा की छटा इस दिन अपनी सोलह कलाओं के साथ बेहद निराली होती है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने सोलह कलाओं के साथ जबकि श्रीराम ने 12 कलाओं के साथ जन्म लिया था।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत समान मानी जाती हैं। शरद पूर्णिमा पर मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। शरद पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए खास माना गया है। कहते हैं इस रात मां लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती हैं। इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, इसलिए चांद की रोशनी पृथ्वी को अपने आगोश में ले लेती है।
पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि इस रात ग्रहण की गई औषधि बहुत जल्दी लाभ पहुंचाती है। शरद पूर्णिमा पर चंद्र की किरणें भी हमें लाभ पहुंचाती हैं। इसलिए इस रात में कुछ देर चांद की चांदनी में बैठना चाहिए। ऐसा करने पर मन को शांति मिलती है। तनाव दूर होता है। शरद पूर्णिमा की रात घर के बाहर दीपक जलाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मकता बढ़ती है। शरद पूर्णिमा की चांद को खुली आंखों से देखना चाहिए। क्योंकि इससे आंखों की समस्या नहीं होती। पूरे दिन व्रत रखें और पूर्णिमा की रात्रि में जागरण करें। व्रत करने वाले को चन्द्र को अघ्र्य देने के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए।
चंद्रमा से बढ़ जाता है औषधियों का प्रभाव:
जानकारी अनुसार शरद पूर्णिमा पर औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है। यानी औषधियों का प्रभाव बढ़ जाता है रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। लंकाधिपति रावण शरद पूर्णिमा की रात किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। इस प्रक्रिया से उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी। चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है। सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र और आश्विन के त्रिकोण के कारण शरद त्रटतु से ऊर्जा का संग्रह होता है और बसंत में निग्रह होता है।
बनाई जाती है खीर:
वैज्ञानिकों के अनुसार दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और भी आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है और इस खीर का सेवन सेहत के लिए महत्वपूर्ण बताया है। इससे पुनर्योवन शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है।