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हर वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों के अधूरे स्टाफ से इलाज बाधित

locationमंडलाPublished: Dec 15, 2019 06:35:48 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

180 रिक्त पदों से चरमराई जिला अस्पताल की व्यवस्था

हर वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों के अधूरे स्टाफ से इलाज बाधित

हर वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों के अधूरे स्टाफ से इलाज बाधित

मंडला। 300 बेड, 10 वार्ड और चिकित्सकों की संख्या मात्र 20। उक्त 20 चिकित्सकों में भी विशेषज्ञ श्रेणी के मात्र 10 चिकित्सक। जबकि चिकित्सकों के प्रथम और द्वितीय श्रेणी के स्वीकृत पदों की कुल संख्या 64। अंदाजा लगाया जा सकता है कि आईएसओ प्रमाणित जिला अस्पताल में मरीजों का उपचार किया जा रहा है अथवा उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मौसम के करवट लेने से शीत लहर से ठिठुरन हर दिन बढ़ती जा रही है। बुखार, सर्दी, जुकाम, दमा, ब्लड पे्रशर, टीबी मरीजों की बढ़ती संख्या लगातार जिला अस्पताल उपचार के लिए पहुंच रही है। इसके अलावा एक्सीडेंटल केस, एमएलसी केस, सर्जरी आदि का दबाव भी लगातार चिकित्सकों पर बना हुआ है। यही कारण है कि जिला अस्पताल में अधिकतर मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा बल्कि ज्यादातर मरीजों को जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जा रहा है। जो मरीज मेडिकल कॉलेज जाने में असमर्थ हैं वे चूंकि निजी डिस्पेंसरियों या निजी अस्पताल में इलाज कराने मे भी असमर्थ होते हैं। यही कारण है कि किसी गांव देहात के झोलाछाप के पास अपने मर्ज का इलाज करा रहे हैं।
मरीज बढ़े, स्टाफ घटा
जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। लेकिन स्टाफ घट रहा है। नई भर्तियां नहीं होने के कारण इसका खामियाजा अंतत: अस्पताल आने वाले मरीज भुगत रहे हैं। चाहे प्रथम श्रेणी के चिकित्सक हों या द्वितीय श्रेणी के, तृतीय श्रेणी का नर्सिंग स्टाफ हो या चतुर्थ श्रेणी के स्वीपर, वार्ड बॉय एवं अन्य कर्मचारी। हर वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों की भारी कमी होने के कारण मरीजों का न ही पूर्ण उपचार किया जा रहा है और न ही समय पर उपचार किया जा रहा है। चाहे मरहम-पट्टी हो या ओपीडी की जांच, वार्ड में भर्ती मरीज हों या आकस्मिक परीक्षण। हर कक्ष और हर वार्ड में मरीजों के साथ लापरवाही बरती जा रही है क्योंकि अस्पताल प्रबंधन शासन स्तर पर नई भर्तियां करा पाने में पूरी तरह से विफल हो रहा है।
निरंकुश हो रहे चिकित्सक
चिकित्सकों की कमी का एक खामियाजा यह भी है कि कुछ चिकित्सक निरंकुश हो चुके हैं। न ही वे समय पर जिला अस्पताल ड्यूटी पर पहुंच रहे हैं और न ही मरीजों से मानवीय व्यवहार कर रहे हैं। मरीज उनके लिए कोई बीमार व्यक्ति नहीं, बल्कि महज एक मौका है, जिसे भुनाने के दौरान एक के बाद एक चार शासकीय चिकित्सकों को लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत लेते धर दबोचा। जिनमें से दो चिकित्सक डॉ मनोज मुराली और डॉ महेंद्र तेजा सिविल सर्जन का दायित्व निभाने के दौरान रिश्वत लेते पकड़े गए। डॉ सुनील यादव सिविल सर्जन पद से हटते ही रिश्वत लेते गिरफ्तार किए गए और शासकीय दंत चिकित्सक डॉ अशोक शर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बिल पास करने के एवज में भारी भरकम राशि की पहली किस्त लेते धरे गए।
फैक्ट फाइल
श्रेणी स्वीकृत कार्यरत रिक्त
प्रथम 39 10 29
द्वितीय 25 10 15
तृतीय 246 158 88
चतुर्थ 129 80 49
कुल 439 258 181
बेड संख्या : 300
वार्ड संख्या : 10
वार्ड- फीमेल-मेडिकल, मेल-मेडिकल, आर्थो, गायनी, सर्जरी, पीडियाट्रिक, एनआरसी, आईसोलेशन, एससीएनयू, आइसीयू।

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