यह मढ़ई प्रतिवर्ष देवउठनी ग्यारस के बाद ही लगती है। इस मड़ई में बैगा जनजाति मृदंग और नगाड़े की ताल नाचते झूमते मढ़ई क्षेत्र में पहुंचे। बैगा बहुल्य क्षेत्र चिता नचना, उक्ती सरई, मंगरवाड़ा, आर्मी, चंदगांव, सालीबाड़ा, कटंगी, छिंदपुरी, हर्राटोला, भीमोरी, चरनतीरथ से बैगाओं की टोली सुबह से ही मड़ई स्थल के लिए निकल गई। जिसके कारण बांसूरी की धुन और ढोल नागाढ़ों की आवाज से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। वहीं इस मढ़ई में चंडी पूजा के लिए छत्तीसगढ़ राज्य से धावई पानी, पागवाही, अकल घरिया, चिल्फी सहित अन्य ग्रामों से बैगाओं की टोलियां पहुंची।
शाम को चंडी पूजा की गई। जिसमें विभिन्न क्षेत्र से पहुंचे बैगा और आहीरों की करीब 30 टोलियां शामिल हुईं। चंडी पूजा के बाद टोलियों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। टोलियों के स्वागत के लिए बिछिया विधायक नारायण सिंह पटï्टा भी पहुंचे। इसके साथ ही मवई जनपद के उपाध्यक्ष नीरज यादव, बांदरबाड़ी ग्राम पंचायत के सरपंच, पूर्व सरपंच मुन्ना लाल मरकाम, इंद्री सरपंच खुदीराम धुर्वे, चुरामन परते, चन्द्र सिंह परते, होमन सिंह मरकाम आदि मौजूद रहे। मवई क्षेत्र में सीजन की पहली मड़ई होने के कारण ग्रामीणों ने जमकर खरीददारी की। जिसका मुख्य कारण फसल आ जाना भी रहा। क्षेत्र में धान व कुटकी की फसल पक गई है जिसे बेचने के बाद ग्रामीणों के पास मड़ई खर्च निकल गया है। मढ़ई में परंपरा गत सामग्री चकला, कांदा, गन्ना, गुडग़प्पा, सिंघड़ा की जमकर खरीददारी हुई। हालांकि की कोरोना संक्रमण के कारण बाहर के व्यापारी ना पहुंचने से कमी खलती रही। वहीं प्रतिबंध के कारण झूले भी नहीं लगाए गए थे।