बिजली विभाग द्वारा जल्द पेपरलेस बिजली बिल भेजने के दावे तो किए जा रहे हैं लेकिन जिले में बड़ी संख्या में ऐसे उपभोक्ता हैं जिन्होंने विभाग में अपना मोबाइल नंबर ही अपडेट नहीं कराया है। आदिवासी बाहुल्य जिले में कई उपभोक्ता ऐसे भी है, जो मोबाईल का उपयोग ही नहीं करते हैं, ऐसे उपभोक्ताओं को पेपरलेस बिल कैसे पहुंचाया जाएगा यह विभाग के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
700 से अधिक मोबाइल अपडेट नहीं विभाग से मिली जानकारी अनुसार शहरी क्षेत्र में 20947 घरेलू, व्यावसायिक कनेक्शनधारी हैं। इनमें अधिकांश के मोबाइल पर पिछले कई महीनों से एसएमएस के जरिए बिजली बिल की जानकारी भेजी जा रही है, लेकिन साथ ही पूर्व की तरह बिजली बिल की कॉपी भी उपभोक्ता की दुकान व घर तक पहुंचाए जा रहे हैं। वहीं विभागीय अधिकारियों का कहना है कि विभाग द्वारा कोशिश की जा रही है कि आने वाले कुछ महीनों के अंदर सिर्फ मोबाइल में ही एसएमएस के माध्यम से बिजली बिल पहुंचाया जाएं। लेकिन इसमें बड़ी समस्या यह बनी हुई है कि करीब 700 ऐसे उपभोक्ता हैं जिन्होंने अपना मोबाईल नंबर बिजली विभाग में अपडेट नहीं कराया है। अधिकारियों ने बताया कि ऐसे उपभोक्ता जिनका मोबाइल नंबर अपडेट नहीं है, वे टोल फ्री नंबर 1912 में या फिर क्षेत्रीय कार्यालय में जाकर मोबाईल नंबर अपडेट करा सकते हैं।
इसलिए की जा रही जद्दोजहद विभाग से मिली जानकारी अनुसार बिजली बिल के लिए कागज का उपयोग किया जाता है। कागज के लिए जहां पेड़ों की कटाई की जाती है। पर्यावरण पर विपरीत असर होता है। वहीं कई बार आफलाइन बिजली बिल समय में उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाता है। कई बार उपभोक्ता जानबूझकर भी बिल समय में नहीं मिलने के कारण समय में बिल जमा नहीं कर पाने की बात कहते हैं, आनलाईन एसएमएस के माध्यम से बिजली बिल पहुंचने से इस तरह की शिकायतें कम हो जाएंगी।
जिनके पास नहीं है मोबाइल तो ये करें आदिवासी बाहुल्य जिले में कई ऐसे उपभोक्ता भी हैं जिनके पास स्वयं का मोबाइल नहीं है। बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ऐसी स्थिति में उपभोक्ता अपने किसी पास में रहने वाले रिश्तेदार, मित्र, पड़ोसी का भी मोबाइल नंबर दे सकता है ताकि उपभोक्ता को समय रहते उसे भेजे गए बिजली बिल की जानकारी मिल जाए।
बिजली चोरी का प्रकरण बनाया शहर के नर्मदागंज में एक मकान में बिजली चोरी की शिकायत पर विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। जहां इन्द्रेश सोनी द्वारा बिजली चोरी करने पर बिजली अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत जुर्माना की कार्रवाई की गई है। जानकारी के अनुसार विभाग द्वारा हर महीने एक दर्जन बिजली चोरी के प्रकरण बनाने के निर्देश दिए गए हैं।