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उत्तर पश्चिम से चल रही हवाएं झुलसा रहीं फसल को

locationमंडलाPublished: Jan 26, 2021 07:33:36 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

किसान चिंतित, विभाग सतर्क

Winds from the northwest are scorching crop

Winds from the northwest are scorching crop

मंडला. पिछले एक पखवाड़े से चल रही उत्तर पश्चिम की ठंडी हवाओं ने फसलों को झुलसाना शुरू कर दिया है। लगभग एक सप्ताह से चल रही शीत लहर ने जिले के कुछ हिस्सों में पाले का रूप धरा और सब्जियों की फसल को जमकर नुकसान पहुंंचाया। इस शीतलहर ने जिले के कुछ हिस्सों में दलहनी फसलों को भी प्रभावित किया। स्थानीय किसानों ने बताया कि शीतलहर ने मोहगांव क्षेत्र में दलहनी फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा इस क्षेत्र में सब्जी की फसलें भी मुरझा गईं। क्षेत्र के किसान विनोद पटेल, अंकित पटेल, जागेश्वर कछवाहा आदि ने बताया कि दर्जनो किसानों के खेत में लगी टमाटर, राहर, मसूर, आलू आदि पाला पडऩे से खराब हो गई है। इसके अलावा उद्यानिकी की फसलें भी खराब हो गई हैं। इससे उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर गया और उन्हें अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मोहगांव के कौआ डोंगरी क्षेत्र के किसान मि_ू लाल सैयाम, रमन पटेल आदि ने बताया कि उनके क्षेत्र में अरहर की खड़ी फसल भी पाले के कारण पूरी तरह से खराब हो चुकी है।
कृषि विभाग ने दी सलाह
उपसंचालक कृषि एसएस मरावी ने बताया कि इन दिनों जिले में न्यूनतम तापमान लगभग 5-6 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है तथा लगातार शीत लहर भी चल रही है। यदि तापक्रम और गिरता है तो पाला पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उपसंचालक मरावी ने बताया कि पाले के बचाव के लिये किसानो को खेत में सिंचाई कर देनी चाहिये। नमीयुक्त खेत में काफी देर तक गर्मी रहती है और भूमि का तापमान एकदम से कम नहीं होता है। जिस रात में पाला पडऩे की संभावना हो उस दिन शाम को 6 बजे के बीच खेत की उत्तर-पश्चिम दिशा में खेत के किनारे फसल के आस-पास की मेड़ों पर 10-20 फिट के अंतर पर कूड़ा कचरा घास फूस जलाकर धुंआ करें ताकि वातावरण में गर्मी आ जाए।
ऐसे करें बचाव
* अगर पाला पड़ गया है तो सुबह-सुबह एक लंबी रस्सी लेकर खेत के दोनों ओर दो व्यक्ति रस्सी पकड़कर इस तरह चले कि रस्सी की रगड़ से पौधे हिल जाए और पौधों पर जमी बर्फ या ओस की बूंदें झड़कर गिर जाए, तो कुछ हद तक पाले के नुकसान से फसलों का बचाव किया जा सकता है।
* फसलों पर 20 से 25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर सल्फर डस्ट या घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी पाले के असर को नियंत्रित किया जा सकता है।

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