मंडलाPublished: Aug 29, 2019 12:17:30 pm
Sawan Singh Thakur
आसा कन्वर्जेसन प्रोग्राम के तहत आयोजित हुए कार्यक्रम
कार्यक्रम से लाभांवित होंगे जिले की महिला कृषक एवं किसान
मंडला। कृषि विज्ञान केन्द्र में आसा कन्वर्जेसन प्रोग्राम के अंतर्गत कृषि कथा का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ विशाल मेश्राम ने की। इस कार्यक्रम में मुख्य अथिति डीडीएम नाबार्ड, अखिलेश वर्मा ने विभिन्न योजनाओ के बारे में बताया तथा भोपाल से आसा के प्रोग्राम मैनेजर सुनील जैन ने आसा द्वारा किये जा रहे कृषि कार्य के विषय में बताया। मृदा एवं जल संरक्षण निदेशक भगवान पटैल ने मृदा एवं जल संरक्षण के विषय में बताया, मुख्य कार्यपालन अधिकारी शेख मोहर्रम ने आसा संस्था की विस्तृत जानकारी दी तथा केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ आरपी अहिरवार न/े मिट्टी का उपयुक्त नमूना लेने की तकनीक, मिट्टी परीक्षण एवं मृदा स्वास्थ्य पत्रक (सॉइल हेल्थ कार्ड) का महत्व पर विस्तारपूर्वक बताया एवं डॉ प्रणय भारती ने पशुओ के टीकाकरण एवं पशुओ के लिए संतुलित आहार प्रबंध पर विस्तारपूर्वक समझाया। सयुंक्त संचालक कृषि केएस नेताम ने एकीकृत कृषि प्रणाली के विषय में बताया एवं आसा कार्यक्रम निदेशक ने जैविक खेती के विषय में बताया। आसा मंडल के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक ने मंडला एवं डिंडौरी जिले में आसा की प्रगति के विषय मे जानकारी दी। कार्यक्रम में उपस्थित कृषक माया बाई पति सोनकेसरी नंदा ग्राम मोहनिया पटपरा के प्रगतिशील किसान ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि मै धान की खेती मे एसआरआई पदद्यि से 0.25 हेक्ट. में शुरूवात की थी वर्तमान में 2 एकड़ में सुगंधित किस्म की धान जैविक विधि से कर रही है एवं 1 एकड़ में टपक सिंचाई के माध्यम से सब्जी की खेती कर रही हूॅं इसके लिये आसा एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन दिया जा रहा है। इसके साथ ही ग्राम बक्छेरादोना से अग्नि बाई ने बताया कि आसा के सहयोग से 3 वर्ष पूर्व 0.25 हेक्ट. के लिए टपक सिचाई प्रदाय की गई थी जिससे सब्जी उत्पादन कार्य प्रारंभ किया था वर्तमान में 1 एकड़ में टपक सिचाई से सब्जी उत्पादन मिल रहा है। सब्जी की फसल में नारियल चटनी बनाकर उपयोग करती हूॅ जिससे सब्जी में फूल-फल अधिक आता है एवं जैविक विधि से खेती करती हूॅं। कार्यक्रम के दौरान मंडला आदिवासी किसान उत्पादक कंपनी लिंगा पोड़ी संचालक मंडल उन्मूलन नंदा एवं सुखदेव मरावी कंपनी द्वारा किये गये कार्य की विस्तृत चर्चा की जिसमें रेवती बाई तेकाम ग्राम पोंडी रैयत ने उत्पादन के विषय में कार्यक्रम में उपस्थित कृषि वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन लिया। कार्यक्रम में कांती बाई ग्राम डुंगरिया जो कि फलदार पौधे सहित जैविक खेती कर रही है उस पर किसानो के साथ कृषि संवाद के रूप में चर्चा की इसके पश्चात आसा संस्था द्वारा ग्राम स्तर पर ग्राम सोध व्यक्ति (भीआरपी) जो कि ग्राम स्तर पर दीदीयों के समूह के साथ ग्राम विकास पर निरंतर कार्य करते है। क्रमश: संतोष धुर्वे ने मटका खाद एवं पाच पत्ती बनाने की विधि बताई, ग्राम बक्छेरादोना ज्ञानोती परते एवं सुम्मी परते ने दीमक से बचाव के लिए उपाए बताए, सुम्मी परते ग्राम खैरी माल के ने कम लागत में हांथ बोरकर सिचाई को बढ़ावा देने पर चर्चा की। अटर सिंह ने जैविक खेती में हरी खाद लेने के बाद धान की जैविक खेती करने के अनुभव पर चर्चा की। केन्द्र के वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ विशाल मेश्राम ने प्रोग्राम के बारे में बताया कि इस तरह के प्रोग्राम समय समय पर होते रहना चाहिए क्योकि इस प्रोग्राम में कृषक दीदीयों की भूमिका है माता बहने को वैज्ञानिको, विषय विशेषज्ञों एवं अधिकारियो से सीधे संपर्क होता है जिससे नई-नई तकनीकी की जानकारी गावं- गांव तक पहुचती है, तथा कृषक दीदी एवं कृषक बंधुओं को कृषि की विभिन्न तकनीकियों को विस्तार पूर्वक बताया। गाजरघास उन्मूलन पर भी प्रकाश डाला गया, कार्यक्रम के उपरान्त कृषि फार्म का विजिट किया। जिसमे डेयरी में विभिन्न नस्ल की गायों को देखा कुक्कुट प्रदर्शन इकाई में मुर्गी की कड़कनाथ प्रजाति, केंचुआ खाद प्रदर्शन इकाई, चारा इकाई एवं कैफिट एरिया में मक्का, धान की विभिन्न वैरायटियों को देखकर लाभान्वित हुए।