मंडलाPublished: Oct 25, 2021 10:24:25 pm
Mangal Singh Thakur
जिले में जुटी महाकौशल की महिलाएं, लगाई प्रदर्शनी
Women lead in promoting traditional food
मंडला. अपना खान-पान, अपना सम्मान, इस जन अभियान की शुरूआत जिला मुख्यालय से करते हुए यहां जुटी महाकौशल क्षेत्र की महिलाओं ने अपने पारंपरिक खानपान को बढ़ावा देेने का संकल्प लिया। समनापुर, मोहगांव, बिछिया, निवास, बैहर, नरयांगंज से महिलाओं ने प्रण लिया की वे अपने पारंपरिक खान-पान को बढ़ावा देने अपने-अपने गाँव और क्षेत्र में और भी लोगों तक यह संदेश पाहुंचाकर उनको भी प्रेरित करेंगी। जिला मुख्यालय में “महिलाएं एवं हमारी पारंपरिक खाद्य प्रणाली” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महिलाओं ने अलग अलग क्षेत्र की प्रमुख खाद्य पदार्थ कही जाने वाली कोदो, कुटकी, कंद, भाजी, अन्य से बनाई हुई वस्तुएँ की प्रदर्शनी भी लगाई। इस दौराम नाबार्ड के जिले के डीडीएम अखिलेश वर्मा उपस्थित रहे।
महिलाओं का कामकाज में सहयोग के बारे में बताया गया कि ग्रामीण महिलाएं कृषि में किए जाने वाले सभी कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिसमें अनौपचारिक कार्य के अलावा अधिकांश अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्य भी शामिल हैं। जैसे रोपाई, निंदाई, गुड़ाई और कटाई का काम तो महिलाएं करती ही हैं, परंतु जब पुरुष हल चलाते हैं तब भी उनके लिए खेत तक खाना पहुंचाने का काम महिलाएं करती हैं। महाकौशल क्षेत्र अधिकांश आदिवासी बहुल्य क्षेत्रों में से एक है, ग्रामीण महिलाओं की लघु वनोपज (एनटीएफ.पी) के संग्रह पर निर्भरता और उसमें भूमिका, विशेष रूप से अकृषित खाद्य पदार्थ, समुदाय के (प्रतिकूल परिस्थितियों से सम्भालने की क्षमता) के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इन खाद्य पदार्थों का एक छोटा सा हिस्सा घर की आर्थिक सुरक्षा में योगदान देता है, लेकिन उनमें से अधिकांश परिवार की खाद्य और पोषण सुरक्षा में योगदान करते हैं, जिसमें महिलाएं संसाधन उपयोग की इस प्रणाली में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। वे न केवल फलों, कंादों और अन्य लघु वनोपज के प्राथमिक संग्राहक हैं, बल्कि इन संसाधनों के महत्वपूर्ण ज्ञान धारक और संरक्षक भी हैं। यही कारण है कि कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्रों से आई महिला प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे और एक गतिविधि के माध्यम से देसी धान एवं पारंपरिक खान-पान के महत्व को समझा और साझा किया।