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डूब रहा युवक बचाव की लगाता रहा गुहार, देखते रहे लोग

locationमंडलाPublished: Apr 21, 2019 06:41:44 pm

Submitted by:

amaresh singh

नहीं मिले तैराक

young man drowning in river

डूब रहा युवक बचाव की लगाता रहा गुहार, देखते रहे लोग

मंडला। विडंबना है कि जिस नगर को नर्मदा नदी ने तीनों ओर से घेर रखा है, उस नगर की नगरपालिका परिषद और होमगार्ड कार्यालय में न ही किसी गोताखोर की नियुक्ति की गई है और न ही किसी तैराक की। यही कारण है कि कल सुबह नर्मदा में डुबकी लगा रहा युवक गहराई में डूबता रहा और किनारे खड़े लोग सिर्फ मदद के लिए नगरपालिका और होमगार्ड कार्यालय में फोन घनघनाते रहे। अंतत: युवक नर्मदा में डूब गया और लगभग 45 मिनट बाद जब होमगार्ड के गोताखोरों को ढूंढकर नाना घाट भेजा गया तब तक युवक की मृत्यु हो चुकी थी और वह नर्मदा नदी के अथाह जलराशि में डूब चुका था। होमगार्ड और नगरपालिका के अस्थाई गोताखोरों को सिर्फ उस युवक का शव मिला।

हैरत की बात है कि नगरपालिका और होमगार्ड में न ही गोताखोर का कोई पद है और न ही तैराक का। नगरपालिका परिषद बारिश के मौसम में गोताखोरों की अस्थाई नियुक्ति करती है। यही हाल होमगार्ड के भी हैं। यहां भी तैराक के विशेषज्ञ नहीं है। होमगार्ड के जवानों को जो प्रशिक्षण दिया जाता है उसी के आधार पर उन्हें सूचना मिलने पर मौके पर भेजा जाता है। यही कारण है कि कल जब नगरपालिका और होमगार्ड में युवक के डूबने की खबर दी गई तो उक्त दोनों विभागों के संबंधित अधिकारी अस्थाई गोताखोरों का पता लगाते रहे और यहां युवक की डूबने से मौत हो गई।


अचानक गहराई में डूबने लगा युवक
कल सुबह आजाद वार्ड के नाना घाट में नर्मदा स्नान के लिए गया युवक गहराई में डूब गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि उक्त युवक का नाम संदीप पांडे हैं और वह सागर का निवासी है। मंडला में वह फेरी का काम किया करता था। कल जब वह नर्मदा स्नान के लिए गया तो लोगों ने उसे किनारे पर तैरते हुए देखा लेकिन कुछ समय बाद गहराई की ओर जाने पर वह पानी में डूबने लगा। उस वक्त घाट के किनारे जितने भी लोग उपस्थित थे वे अच्छी तरह से तैरना नहीं जानने के कारण युवक को बचाने के लिए नदी में छलांग न लगा सके। उनमें से कुछ ने तत्काल नगरपालिका और होमगार्ड कार्यालय में फोन लगाया। लगभग 45 मिनट बाद होमगार्ड के जवान मोटर बोट और गोताखोरों के साथ नाना घाट पर पहुंचे लेकिन तब तक संदीप पांडे नर्मदा की गहराई में डूब चुका था। गोताखोरों ने कांटा डालकर युवक का शव बाहर निकाला।


जरुरी है नियुक्ति
गर्मी में नर्मदा घाटों पर बच्चे तैराकी सीखने आएंगे। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। ऐसे में उन सभी घाटों पर होमगार्ड के गोताखोर को उपलब्ध कराया जाना चाहिए जहां बच्चों का आना जाना अधिक है। ताकि किसी भी विषम परिस्थिति से निपटा जा सके।
सुनील मिश्रा, समाजसेवी।


होमगार्ड में तैराक अथवा गोताखोर का कोई पद अलग से नहीं है। जवानों को ही प्रशिक्षित किया जाता है। सूचना मिलने पर उन्हें पूरी तैयारी के साथ मौके पर भेजा जाता है।
हेमराज परस्ते, प्लाटून कमांडर, होमगार्ड, मंडला।

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