हिबा पर आए कलेक्टर के आदेश की शासन ने की पुष्टि, अब नहीं कोई बाधा
नपा में हिबा के आधार पर नामांतरण के मामले करीब १६ सालों से लंबित चले आ रहे है। कानून के अनुसार मुस्लिम समाज के नागरिको को अपनी संपत्ति के दान के व्यवहार के लिए स्टाम्प डयुटी एवं पंजीयन में छुट प्राप्त है। यह दान सव्यवहार हिबा कहा जाता है। किंतु नगर पालिका में रोक लगने के कारण प्रकरण ही लंबित चल रहे है और हिबा नामांतरण का सालों से निराकरण नहीं हो पाया है। पूर्व में भाजपा के बहुमत वाली निकाय और शासन के समय इस पर रोक लगी थी। नपा ने 20 सितंबर-2017 के ठहराव प्रस्ताव पारित कर सभी हिबा आधारित नामांतरण प्रकरणों को निरस्त कर दिया। नगर पालिका के इस ठहराव को कांग्रेस पार्षद हनीफ शेख, हाजी रशीद ने कलेक्टर न्यायालय मेें चुनौती दी थी। अभिभाषक प्रकाश रातडिया ने कलेक्टर न्यायालय में सर्वोच्चय न्यायालय द्वारा प्रतिपादित न्याय उत्तरण के माध्यम से विधिक स्थिति स्पष्ट की थी कि मुस्लिम समाज के नागरिको को हिबा के लिए स्टाम्प डयुटी एवं पंजीयन में छुट है।
आपत्ति को नपा ने किया निरस्त
नगर पालिका परिषद ने अपने ठहराव में सभी हिबा आपत्ति प्रकरणो को निरस्त किया जो उचित नहीं था। कलेक्टर के आदेश की राज्य शासन ने पुष्टी कर दी है। इस आदेश के फलस्वरूप मुस्लिम वर्ग के नागरिको के हिबा आधारित नामांतरण प्रकरणो के निराकरण की बाधा समाप्त हो गई है।
२०१३ में लगी रोक १४ के बाद नहीं ली एक फाईल
हिबा नामांतरण के प्रकरणों पर वर्ष २०१३ में रोक लगी थी। नपा को एक लेटर मिला था। इसके बाद से हिबा के मामलों पर रोक लगाई गई थी। उस समय नपा के पास हिबा से जुड़े नामांतरण के करीब ४०० मामलें थे। जो अब तक लंबित होकर नपा के पास ही है। इस पर रोक लगने के बाद नपा ने वर्ष २०१४-१५ के सत्र में हिबा नामांतरण के प्रकरणों को लेना भी बंद कर दिया और फाईल ही नहीं ली जा रही थी। ऐसे में १६ साल से हिबा नामांतरण के प्रकरण अटके है। इनका मार्ग अब प्रशस्त हुआ है।
परिषद में रखेंगे प्रकरण
वर्ष २०१३ में हिबा नामांतरण पर रोक लगाई गई थी। अब आदेश आ गया है तो जितने भी हिबा नामांतरण के प्रकरण है। उन्हें परिषद में रखेंगे और स्वीकृति दिलाएंगे। पूर्व में लंबित के अलावा हिबा के प्रकरण फिर से लिए जाएंगे।-हनीफ शेख, नपाध्यक्ष