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उधारी के भवनों में कुपोषण से जंग लड़ रहा महिला बाल विकास विभाग

locationमंदसौरPublished: Jun 24, 2019 11:38:47 am

Submitted by:

Nilesh Trivedi

उधारी के भवनों में कुपोषण से जंग लड़ रहा महिला बाल विकास विभाग

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उधारी के भवनों में कुपोषण से जंग लड़ रहा महिला बाल विकास विभाग


मंदसौर.
जिले में आंगनवाड़ी जिन किराए के भवनों में चल रही है। उनका किराए का भुगतान पिछले कई माह से नहीं हुआ है। आंगनवाड़ी तो ठीक परियोजना कार्यालय भी किराए के भवन में चल रहे है और इनका भी कई माह से किराए का भुगतान होना शेष है। सितबंर-अक्टूबर से ही किराए का भुगतान भवन स्वामियों को नहीं हुआ है। मामले ने तूल पकड़ा तो विभाग ने अपने पास से एक माह के आवंटन से भुगतान के लिए बिल लगा दिए, लेकिन अभी भी कई माह का भुगतान होना बाकी है।
जिले में १७३५ में से सिर्फ ३५९ आंगनवाडिय़ों ऐसी है। जिनके पास अपना भवन है। भवन और किराए का समय पर भुगतान नहीं होने के कारण आंगनवाड़ी की व्यवस्था जिले में लचर हो गई है। इस अव्यवस्था का खामियाजा यहां पदस्थ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के साथ ही यहां आने वाले नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि जिले में उधारी के भवनों में महिला एवं बाल विकास विभाग कुपोषण के दंश को मिटाने के लिए जंग लड़ रहा है।

अब भेजी डिमांड, भवन मालिको को किराए का इंतजार
सितबंर-२०१८ के किराए के बिल लगाने के बाद अब विभाग ने बचे हुए माह का किराया भुगतान के लिए डिमांड भेजी है। वहां से आवंटन आने के बाद भवन मालिको को किराया जारी होगा। पिछले कई माह से किराए का इंतजार कर रहे भवन स्वामियों को अभी शासन से आवंटन विभाग को मिलने तक और इंतजार करना पड़ेगा।

अपने भवन पर ताले लगा चुके है भवन स्वामी
शहर में किराए के भवन में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों पर भवन स्वामी किराया नहीं मिलने के कारण ताले लगा चुके है। ताले लगाकर आंगनवाड़ी के बच्चों व कार्यकर्ता से लेकर सहायिकाओं को बाहर बैठना पड़ा। अधिकारियों ने हस्तक्षेप के बाद ताले खुले थे। ऐसी जिले में ४०८ आंगनवाड़ी किराए के भवन में चल रही है तो आंगनवाडिय़ों के पास स्वयं के भवन नहीं है। ऐसे आंगनवाडिय़ों की संख्या भी अधिक है।

चुनावों में उलझे किराया चुकाना भूले
वर्ष २०१८ में नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के पहले अक्टूबर में आचार संहिता लग गई थी। चुनाव के बाद फिर मार्च में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगी। दोनों चुनावों के कामों में उलझे विभाग के जवाबदार अपने विभाग की जवाबदारी को नजरअंदाज कर गए और जिन भवनों में आंगनवाडिय़ां चल रही। उनका किराया चुकाना ही भूल गए। अब जब किराया कई माह का लंबित हो गया और जिले में मामले ने तूल पकड़ लिया तो अब डिमांड भेजी है।

6-7 माह का बाकी है किराया
जिले की ४०८ आंगनवाड़ी जो किराए के भवन में संचालित होती है। उनका पिछले ६ से ७ माह का किराया बाकी है। सितबंर-२०१८ से किराया बाकी चल रहा था। मामले ने तूल पकड़ा तो विभाग के पास पड़ा १ माह के आंवटन से उन्होंने एक माह के किराए का भुगतान के लिए बिल लगा दिए। फिर भी अक्टूबर से अब तक भवनों का किराया दिया जाना बाकी है। यहीं हाल परियोजना कार्यालयों के भी है। जिनका ६ से ७ माह का किराया बाकी चल रहा है। ९ में से ७ परियोजना कार्यालय किराए के भवन में संचालित है तो जो जिन्हें सरकारी भवन मिल गए, उनका पूराना किराया भी बाकी है।

फैक्ट फाईल
जिले में कुल आंगनवाड़ी व उपआंगनवाड़ी- 1735
किराए के भवन में संचालित- 408
पंचायत भवन में संचालित- 141
स्कूल भवनों में संचालित- 728
अपने भवन में संचालित-359
अन्य भवनों में संचालित- 99
९ परियोजनाओं में से किराए के भवन में संचालित- 7
भवनों का किराया बाकी- 6 से 7 माह तक

एक माह का आवंटन था
आंगनवाड़ी भवनों और परियोजना जो किराए के भवन में चल रही है। उनका किराया बाकी है। इनके लिए डिमांड भेज दी है। आवंटन आते ही भुगतान किया जाएगा। एक माह का आवंटन था। वह कर दिया गया है। सितबंर का भुगतान किया है। -रवींद्र महाजन, जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी, मंदसौर
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