विधायक के अनुसार इस रोड़ का व्यवस्थित निर्माण होने के बाद सहूलियत मिलेगी क्योंकि पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण पांडे द्वारा यह मार्ग बनवाया गया था और उसके बाद आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली और पूरा मार्ग गड्डामय होने के साथ ही सीतामऊ रोड़ तक जाने का इधर से बायपास होने से चौबीसों घंटों व्यस्ततम मार्ग होने से इस मार्ग की अहमियत और बढ़ गई हैं। ऐसी स्थिति में विशेषकर बारिश में मार्ग से निकलना दुर्भर हो जाता है। सिसौदिया ने राधा स्वामी सत्संग रोड़ के लिये विधायक निधि से 5 लाख की घोषणा की। सिसौदिया ने पशुपतिनाथ मंदिर के समीप ही 3 करोड़ लागत से सहस्त्र शिवलिंग मंदिर का हजारेश्वर निर्माण की भी घोषणा की।
दिव्यानंदजी ने भी सही ठहराया हैं
भगवान पशुपतिनाथ के श्रावण में गर्भगृह में जलाभिषेक को लेकर चल रहे घटनाक्रम को लेकर यहां विधायक ने कहा कि सोमनाथ से लेकर औंकारेश्वर, महाकाल उज्जैन आदि शिव मंदिरों में शिवलिंग होते हुए भी गर्भगृह में जाकर पुजारी के अतिरिक्त अन्य किसी को जलाभिषेक की अनुमति नहीं है और इसका कोई बुरा भी नहीं मानता और न किसी ने विरोध ही किया है। मंदिरों के अलावा गोरधननाथ, द्वारकानाथ, जगन्नाथ, बद्रीनाथ जैसे वैष्णव मंदिरों के गर्भगृह में जाकर पूजा करने का विधान केवल पुजारी को ही होता है तो ऐसी स्थिति में यदि भगवान पशुपतिनाथ जो कि मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठापित है और क्षरण की समस्या आने पर प्रबंध समिति द्वारा सर्वानुमति से बाहर से जलाभिषेक की जो व्यवस्था की है और स्वीकार किया है। शंकराचार्य दिव्यानंदजी तक ने इसे सही ठहराया है तो फिर इसका विरोध क्यों। सभी संतों ने भी विधायक की बात का समर्थन करते हुए कहा कि जहां केवल शिवलिंग हो सब जलाभिषेक कर सकते है परंतु मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित होने पर मूर्ति को स्पर्श करने, पूजा.अभिषेक का अधिकार केवल नियुक्त पुजारी को ही होता है।
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