जानिए आज होने वाले खग्रास सूर्यग्रहण का राशियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव
मंदसौर.
ज्योतिषी भाषा के अनुसार मंगलवार को खग्रास सूर्यग्रहण होगा। विशेष प्रकार के इस खग्रास सूर्यग्रहण का वैसे तो अपने देश में आंशिक प्रभाव रहेगा। वैसे तो सूर्यग्रहण को आम तोर पर पूर्ण व आंशिक ग्रहण के तौर पर ही जाना जाता है, लेकिन यह खग्रास ग्रहण विशेष होता है। जिसका ग्रहण के अनुसार ही प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। प्रशांत महासागर से उठने वाला यह ग्रहण दक्षिणी अमेरिका के कुछ भागों में प्रवेश करता हुआ गुजरेगा और भारत की सीमा को रात १०.२५ बजे स्पर्श करेगा। साथ ही रात १२.५३ बजे इस ग्रहण का मध्य होगा और रात ३.२१ बजे मोक्ष भोर होगा।
इस सूर्यग्रहण का मोक्ष अटलांटिका में होगा
एस्ट्रोलॉजर रवीशराय गौड़ ने बताया कि २ जुलाई को आषाढ कृष्ण पक्ष की अमावस्या मंगलवार के दिन खग्रास सूर्य ग्रहण लगेगा। यह सूर्य ग्रहण दक्षिण प्रशांत महासागर से प्रारंभ होकर दक्षिणी अमेरिका के कुछ भागो में प्रवेश करते हुए एवं चिली होते हुए अर्जेंटीना में खग्रास रूप में दिखाई देगा। इस सूर्यग्रहण का मोक्ष अटलांटिका में होगा। यह सूर्यग्रहण भारतीय मानक समयानुसार 2 जुलाई की रात 10 बजकर 25 मिनट पर स्पर्श करेगा। रात में 12 बजकर 53 मिनट पर ग्रहण का मध्य होगा तथा मोक्ष भोर में 3 बजकर 21 मिनट पर होगा।
धार्मिक नहीं लेकिन ग्रहीय दृष्टि से होता है बड़ा महत्व
गौड़ के अनुसार इस खग्रास सूर्यग्रहण का कोई धार्मिक महत्व नहीं होता है, लेकिन ग्रहीय दृष्टि से इसका विशेष महत्व होता है। रात में लगाने वाले सूर्य ग्रहण का ग्रहों के हिसाब से बड़ा महत्व होता है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य-चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है।
यह है बड़ी वजह
वैज्ञानिक व ज्योतिषी तौर पर माने तो जब चंद्र, सूर्य व पृथ्वी के बीच आता है तब सूर्य कुछ देर के लिए अदृश्य हो जाता है। आम भाषा में इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। इसमे चंद्र, सूर्य व पृथ्वी एक ही सीध में होते हैं व चंद्र, पृथ्वी और सूर्य के बीच होने की वजह से चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। सूर्यग्रहण सदैव अमावस्या के दिन ही घटित होता है। पूर्ण ग्रहण के समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पूर्णत अवरुद्ध हो जाता है। ग्रहण को धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
वैदिक ज्योतिष में ग्रहण का है महत्व
भारतीय वैदिक ज्योतिष में ग्रहण का बहुत ज्यादा महत्व है। इसका सीधा मानव जीवन सहित सभी जीव-जंतुओं पर पड़ता है। इसी कारण से गर्भवती महिलाओं सहित अन्य आवश्यक कार्यो में पालन करना बेहतर माना गया है। इसमें ग्रहण न देखना, नुकीली चीज का प्रयोग न करना, कपड़े न सिलना अर्थात सुई का प्रयोग नहीं करने, ग्रहण के दौरान चाकू का प्रयोग न करना, ग्रहण के बाद स्नान करने के अलावा ईष्ट देव को याद करने जैसी बातों का इस दौरान विशेष ध्यान रखना भी ग्रहण से जुड़े तथ्यों में जरुरी माना गया
राशि एवं लग्नों सहित संपूर्ण जगह को करता है प्रभावित
धार्मिक व ज्योतिषी मान्यतानुसार सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण में गंगा स्नान को बेहतर माना है और इसी से ही श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के बाद स्नान और दान करना भी बहुत अच्छा रहता है। इसलिए गेहूं, धान, चना, मसूर दाल, गुड़, चावल, काला कंबल, सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी, चांदी-स्टील की कटोरी में खीर दान से खास लाभ मिलेगा। सभी राशि एवं लग्नो सहित संपूर्ण चराचर जगत को प्रभावित करेगा।
्रराशियों पर इसका निम्न प्रभाव पड़ेगा
मेष राशि -.पराक्रम वृद्धि, विद्या में अवरोध, पेट की समस्या।
वृष राशि – वाणी में तीव्रता,पराक्रम एवं आय में वृद्धि, अचानक खर्च वृद्धि, पेट एवं पैर की समस्या।
मिथुन राशि – सिर की समस्या, कंधे कमर के दर्द, धनागम, दांपत्य में तनाव।
कर्क राशि – आंखों में कष्ट, खर्च में वृद्धि, रोग ऋण एवं शत्रुओं का नाश।
सिंह राशि – आय के नए साधनो में वृद्धि, चोट या ऑपरेशन की संभावना, विद्या में अवरोध।
कन्या राशि – आंतरिक डर, सीने की तकलीफ, पारिवारिक समस्या, वाहन एवं गृह पर खर्च ।
तुला राशि – पराक्रम वृद्धि, क्रोध में वृद्धि, सम्मान में वृद्धि, भाग्य में वृद्धि।
वृश्चिक राशि- भाग्य वृद्धि, वाणी में तीव्रता, खर्च वृद्धि, गृह एवं वाहन पर खर्च।
धनु राशि- सिर की समस्या, कंधे या कमर के दर्द, दांपत्य में अवरोध, पेट की समस्या।
मकर राशि- शत्रु विजय, क्रोध में वृद्धि, उच्चस्थ अधिकारी से तनाव, दांपत्य में तनाव, शरीरिक कष्ट।
कुम्भ राशि – संतान पक्ष से चिंता, शारीरिक कष्ट, मन अशांत, आलस्य में वृद्धि।
मीन राशि- सीने की तकलीफ, गृह एवं वाहन सुख में वृद्धिए भाग्य में वृद्धि।