भाजपा के लिए मंूगावली और कोलारस जैसी टेंशन ना पैदा कर दे यह विधानसभाएं
खतरे में है भाजपा की सीट

मंदसौर.
जिले में किसान आंदोलन की आंच से भाजपा झुलस गई। इस आंदोलन से न केवल जिले में वरन पूरे संसदीय क्षेत्र में भाजपा के खिलाफ माहौल बना है। इसका असर पूरे प्रदेश में भी दिखाई दे रहा है। हाल ही में गुप्तचर एंजेसियों खासतौर पर आईबी की जो रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है, इसमें भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि वर्तमान परिस्थितियों में मंदसौर-नीमच जिले में भाजपा की सभी सीटे खतरे में है। रिपोर्ट में पूरे प्रदेश में यदि वर्तमान में चुनाव करा लिए जाएं तो मात्र ७० सीटो पर ही भाजपा काबिज हो सकती है। इस रिपोर्ट ने सरकार की नींद उड़ा दी है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का मुख्य केंद्र बिंदु मंदसौर-नीमच जिला ही है। इन दोनो जिलों में भाजपा व सरकार ने किसान आंदोलन के बाद कहीं जतन किए।
भाजपा के बड़े जतन भी नहीं आए कोई काम
एकात्म यात्रा, दो बड़े किसान सम्मेलन, भावांतर योजना के करीब ४० करोड़ रुपए का वितरण सहित ३६४ करोड़ की सिंचाई योजना जैसे वृहद व मशक्कत कर किए आयोजनों के बाद भी किसानों की नाराजगी भाजपा के प्रति दूर नहीं हुई है। यहीं कारण है कि जिले में अब मंडल स्तर पर किसान सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है। जानकारी अनुसार मंदसौर- नीमच जिले की ७ विधानसभा सीटो पर काबिज होने के लिए अब संघ भी ओर सक्रिय हो गया है। भाजपा के जिलाध्यक्ष देवीलाल धाकड़ ने भी स्वीकारा है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में संघ से जुड़े लोगों को अहम जवाबदारी दी गई है। जानकारी अनुसार मंदसौर- नीमच जिले में जनप्रतिनिधियों व भाजपा की परफारमेंस रिपोर्ट से संघ खुश नहीं है।
मल्हारगढ़ में भाजपा की स्थिति सबसे बुरी
भाजपा की सबसे ज्यादा खराब हालात मल्हारगढ़, नीमच विधानसभा में बताई जा रही है। मंदसौर, सुवासरा, गरोठ-भानपुरा में भी भाजपा की स्थिति वर्तमान में ठीक नहीं है। मनासा में भी वर्तमान में भाजपा जीत की स्थिति में नहीं है। इस रिपोर्ट के बाद भाजपा व सरकार नई रणनीति बनाने में जुट गई है। अब फरवरी माह में झील महोत्सव के बहाने गरोठ विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को लाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन मार्च में मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री को लाने के प्रयास हो रहे है। इसका बड़ा कारण जिले में मुख्यमंत्री चौहान के प्रति किसानों में नाराजगी नहीं है, जितनी की सरकार व भाजपा संगठन से। मुख्यमंत्री चौहान की लोकप्रियता जिले में अभी भी है। हालांकि उनकी विगत दो माह में मंदसौर जिले में किसानों के हित में की गई घोषणाओं का ज्यादा असर किसानों पर नहीं पडऩा बताया जा रहा है।
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