इसमें पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने चार सप्ताह में चुनाव प्रक्रिया शुरु करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अब तक उपचुनाव को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है। ऐसे में अभिभाषक ने कोर्ट की अवमानना पर अधिकारियों से जवाब मांगा है। साथ ही नपा में वर्तमान में मौजूद दोनों सीएमओ को भी इसमें नोटिस जारी किए है।
शासन या आयोग ने नहीं उठाया कोई कदम
कोटवानी ने बताया कि नगर पालिका परिषद के उपचुनाव को लेकर हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई याचिका में आए आदेश पर अब तक राज्य शासन या निर्वाचन आयोग द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए हैं हैं हैं। हाईकोर्ट द्वारा दिए गए द्वारा दिए गए आदेश की अवमानना किए जाने को लेकर पार्षद के वकील ने राज्य निर्वाचन एवं राज्य शासन के अधिकारियों को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा है।
इसमें राज्य शासन के अधिकारी, राज्य निर्वाचन के अधिकारी, आयुक्त नगरीय प्रशासन, कलेक्टर एवं मंदसौर नपा में मौजूद दोनों सीएमओ के नाम नोटिस पत्र जारी किए गए है। इसमें बताया कि 25 जुलाई 2019 को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश की प्रतिलिपि याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को 26 जुलाई एवं 27 जुलाई के पत्र के माध्यम से उपलब्ध करवा दी थी। इसके बाद 27 पत्र उनके द्वारा निरंतर दिए गए, लेकिन अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जो न्यायालय की अवमानना श्रेणी में आता है। इस पर दो दिवस में निर्वाचन की कार्रवाई प्रारंभ करने अन्यथा इस संबंध में न्यायालय में याचिका दायर किए जाने की बात कही है।
इधर दोनों सीएमओ नहीं पहुंचे नपा
अध्यक्ष के किसी भी फाईल पर साईन करने या काम करने से मना करने के बाद दोनों सीएमओ मे से कोई भी शनिवार को नगर पालिका नहीं पहुंचा। सीएमओ की कुर्सी को लेकर दोनों सीएमओ में चल रही खींचतान के बीच नपा का पूरा काम ठप हो गया है। शनिवार को भी सन्नाटा पसरा रहा तो नपा के अधिकांश चैंबर भी खाली पड़े रहे।
नपा में जनवरी में प्रहलाद बंधवार की हत्या के बाद नपाध्यक्ष की खाली कुर्सी के कारण काम प्रभावित हुआ था। जो ६ माह से अधिक समय तक खाली कुर्सी के कारण प्रभावित रहा। अब सीएमओ की कुर्सी पर पड़ी उलझन के कारण काम रुक गया है। शनिवार को सीएमओ चैंबर के ताले तो खुले रहे, लेकिन यहां दोनों में से कोई सीएमओ नहीं पहुंचा।