महंगाई ने बिगाड़ा दाल का तडक़ा
चपपटी और दाल तडक़ा आम तौर पर हर आम व खास की पसंद होती है। लेकिन दाल के दामों में आए उछाल के बाद दाल का तडक़ा भी महंगाई बिगाडऩे लगी है। बढ़ते दामों के कारण घरों में आम आदमी की थाली पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। किराना व्यापारियों का कहना है कि दाल के दाम हर बार सीजन के समय खपत अधिक होने के कारण अधिक होते है। ऑफ सीजन में थोड़े कम हो जाते है। लेकिन दाम अधिक होने के कारण मध्यम व गरीब वर्ग के लोग का बजट बिगड़ जाता है। ऐसे में दाल खरीदते समय वह अलग-अलग विकल्प पर भी विचार करते है।
खपत और आयात-निर्यात के कारण प्रभावित हो रहे दाम
किराना व्यापारियों के अनुसार दाल की खपत से इनके दाम प्रभावित होते है। तो आयात-निर्यात भी दामों को बढ़े पैमानें पर प्रभावित करता है। पिछले दिनों आयात के लाइसेंस मिलने के कारण आयात शुरु हुआ तो दाम कम हुए वहीं वैवाहिक व मांगलिक कामों की सीजन भी अब कम हो गई तो खपत सामान्य हो गई। इसके कारण दालों के दाम में फौरी राहत मिली है। मुंग व चने की दाल में ३ से ५ रुपए तो चने की दाल में ५ से ८ रुपए तक के दाम कम हुए है। लेकिन दालों के दाम बढऩे के बाद यह राहत भी आम लोगों को राहत नहीं दे रही है।
फेक्ट फाईल:-
तुवर दाल- ८८ से १०० रुपए प्रति किलो तक
उड़द दाल- छिलका ७० से ७५ और मोगर ८५ से ९० रुपए प्रतिकिलो
मुंग की दाल- छिलका ७५ से ८० और मांगेर ८५ से ९० रुपए प्रतिकिलो
चने की दाल- ५८ से ६५ रुपए प्रतिकिलो