scriptकरोड़ों खर्च होने के बावजूद आंगनवाडिय़ों में शौचालय नहीं तो त्रिपाल की नीचे दूर कर रहे ‘कुपोषणÓ | Despite spending crores, there are no toilets in Anganwadis, so we ar | Patrika News

करोड़ों खर्च होने के बावजूद आंगनवाडिय़ों में शौचालय नहीं तो त्रिपाल की नीचे दूर कर रहे ‘कुपोषणÓ

locationमंदसौरPublished: Feb 23, 2020 11:54:45 am

Submitted by:

Vikas Tiwari

करोड़ों खर्च होने के बावजूद आंगनवाडिय़ों में शौचालय नहीं तो त्रिपाल की नीचे दूर कर रहे ‘कुपोषणÓ

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मंदसौर.
जिले में कुपोषण के दंश को खत्म करने का जिम्मा महिला बाल विकास विभाग का है। लेकिन यह विभाग ही अव्यवस्थाओं और असुविधाओं के कुपोषण में फंसा हुआ है। पत्रिका ने जब जिलेभर की आंगनवाडिय़ों की ग्राउंड रिपोर्ट ली तो आश्चर्य चकित करने देने वाला दृश्य सामने आए है। यह हाल जिलामुख्यालय पर ही है। पत्रिका टीम ने खानपुरा और माली मोहल्ला की आंगनवाडिय़ों की पड़ताल की तो सामने आया कि आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चों के लिए शौचालय ही नहीं है तो एक आंगनवाड़ी में तो त्रिपाल छत पर लगा रखा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंचल में आंगनवाडिय़ों की स्थिति कैसी होगी। जब अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अंाकड़ा सही नहीं आया है अब फिर से स्केन करवाकर कमियों को लेकर योजना बनाकर दूर किया जाएगा।
इन आंगनवाडिय़ों के हाल देख पत्रिका की टीम ने जिले की सभी आंगनवाडिय़ों की रिपोर्ट जिला पंचायत से ली। जिसमें सामने आया कि जिले में १७३५ आंगनवाडिय़ां है। इनमें से एक हजार १३९ आंगनवाडिय़ों में तो विद्युत व्यवस्था ही नहंी है। और जहां है उनमें से भी ५५ आंगनवाडिय़ों में विद्युत कनेक्शन होते हुए भी बंद है। तो ११० आंगनवाडिय़ां ऐसी भी है पीने के पानी की घोर समस्या है। इन आंगनवाडिय़ों में ना तो नल जल योजना है। ना ही कुआ है और ना ही हेंडपंप है। अन्य साधन से यहां पर पानी की पूर्ति की जाती है।
७० फीसदी में कीचन गार्डन नहीं
रिपोर्ट में सामने आया कि जिले में १७३५ आंगनवाडिय़ों में से केवल ६८० में कीचन गार्डन की व्यवस्था है। और १०५५ आंगनवाडिय़ों में कीचन गार्डन ही नहीं है। इसके अलावा पूरक पोषाहार पकाने के लिए रसोई घर भी केवल ९७० अंागनवाडिय़ों में है। ७६५ आंगनवाडिय़ों में यह व्यवस्था भी नहीं है। इन आंगनवाडिय़ों के भरोसे से जिले से कुपोषण खत्म करने के लिए विभाग करोड़ों रूपए खर्च कर रहा है। बड़ा सवाल यह है कि जब आंगनवाडिय़ों में व्यवस्थाएं ही नहीं है तो कैसे कुपोषण दूर होगा।
करोड़ों की आंगनवाडिय़ों के काम अधूरे
जानकारीे अनुसार जिले में ४८१ आंगनवाडिय़ों स्वीकृत की गई थी। इसमें एक आंगनवाड़ी की लागत ७ लाख ८० हजार रूपए है। इनमें से ४७ आंगनवाडिय़ों के काम तो अभी शुरु ही नहीं हुए है। तो करीब २५१ आंगनवाडिय़ों के काम चल रहे है। कब पूरे होगें इसको लेकर भी अधिकारी कोई तय तारीख बताने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में ये अंागनवाडिय़ों की त्रिपाल के नीचे तो कही बिना शौचालय वाले कमरे में संचालित हो रही है।
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