कानून के बावजूद निर्धन बच्चों को नहीं मिला ‘शिक्षा का अधिकार’
कानून के बावजूद निर्धन बच्चों को नहीं मिला ‘शिक्षा का अधिकार’
मंदसौर.
सरकार द्वारा गरीब वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ सके इसके लिए शिक्षा के अधिकार कानून बनाया। कानून बनाने के बावजूद कई गरीब वर्ग के विद्यार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि जिले में इस कानून के तहत निजी स्कूलों में जितनी सीटे तय की है। उसके एवज में ४० से ६० फीसदी ही विद्यार्थियों का प्रवेश हो पा रहा है। बड़ी संख्या में सीटे रिक्त रह रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि कई लोगों को इस कानून के बारे में जानकारी ही नहीं है।
साल दर साल गिरा स्कूलों में प्रवेश
डीपीसी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सन् २०१७-१८ में ४ हजार ५०६ सीटे जिले में थी। इसके एवज में ४२०० विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। सन् २०१८-१९ में जिले के ७०७ स्कूलों में ६ हजर २५३ सीटे तय की गई। इन सीटों में ३ हजार ७१५ ही विद्यार्थी पात्र निकले। इसमें २३ विद्यार्थियों ने प्रवेश नहीं लिया। इस वर्ष २०१९-२० में जिले के अंदर ६९६ स्कूलों में ६ हजार ४५ सीटे तय की है। बताया जा रहा है कि इस वर्ष भी करीब चार हजार तक ही प्रवेश होने की संभावनाएं है।
साढ़े तीन साल से सात सात तक बच्चों का प्रवेश
डीपीसी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा का अधिकार कानून के तहत नर्सरी, केजी वन, केजी टू और कक्षा एक में प्रवेश दिया जाता है। इसमें साढ़े तीन साल से लेकर सात साल के बच्चे को प्रवेश दे सकते है इससे अधिक की उम्र के बच्चों को इस कानून के तहत प्रवेश नहीं दिया जाता है। जिस क्षेत्र में स्कूल है। उसी क्षेत्र में उस विद्यार्थी को स्कूल में प्रवेश मिलेगा।
जानकारी नहीं होने से १ हजार फार्म निरस्त
विभाग से जब छात्रों के प्रवेश को लेकर जानकारी मांगी तो उसमें सामने आया कि एक हजार से अधिक छात्रों का प्रवेश इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि या तो उन्होंने फार्म भरने में कोई गलती कर दी या फिर कुछ ना कुछ कमी रख दी या फिर अपने क्षेत्र के बजाए अन्य क्षेत्रों का फार्म भर दिया या फिर नियमानुसार वे पात्र नहीं थे। इस वर्ष शिक्षा के अधिकार कानून की प्रक्रिया शुरु हो गई है।
इनका कहना….
डीपीसी अनिल कुमार भट्ट ने बताया कि शिक्षा के अधिकार कानून को लेकर पूरी जानकारी दी जा रही है।